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5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को छूकर 2027 तक तीसरी शक्ति बन सकता है भारत

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5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को छोकर 2027 तक तीसरी शक्ति बन सकता है भारत 

Indian economy: दुनिया की प्रगति में भारत का महत्व बढा है उसका योगदान बढ़कर 2022 में 15 प्रतिशत हो गया और 2023-28 में इसके 17 प्रतिशत की उम्‍मीद है. 2021में भारत का योगदान महज 10 प्रतिशत था. ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार.

अमेरिकी डॉलर के आधार पर, हम उम्मीद करते हैं कि भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि वित्‍त वर्ष 2025 तक बढ़कर 12.4 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और यह चीन, अमेरिका और यूरो क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन करेगी. यह वित्‍त वर्ष 2024 में 7 प्रतिशत रहेगी. उच्च विकास दर का मतलब होगा कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बेस के बावजूद मजबूत चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगी.  उम्मीद है कि 2027 तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

रिपोर्ट के अनुसार "हमें उम्मीद है कि वित्‍त वर्ष 2024 में विकास दर 6.4 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत की मजबूत दर पर कायम रहेगी. यह 2024 से 2028 तक औसतन 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.

पिछले कुछ समय से भारत पर हमारा रचनात्मक दृष्टिकोण रहा है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत एशिया के भीतर सबसे अच्छा घरेलू मांग अल्फा अवसर प्रदान करता है. आर्थिक आंकड़े मजबूत हैं और जोखिम परिसंपत्तियों का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है. इस पृष्ठभूमि में निवेशकों के बीच बहस इस बात को लेकर है कि क्या इस मजबूत दौर को बरकरार रखा जा सकता है और जोखिम के कौन-कौन से कारक हैं जिन पर ध्यान रखने की जरूरत है.

रिपोर्ट के अनुसार परिसंपत्ति बाजार के प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चालक निवेश चक्र है. निवेश चक्र पहले ही सुधर चुका है, जो आरंभ में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय के कारण तेज उछाल से प्रेरित है.

कुछ निवेशक इस साक्ष्य के लिए एफडीआई डेटा की ओर देख रहे हैं कि भारत आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण से लाभान्वित हो रही है. हालाँकि, भारत में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह वित्‍त वर्ष 2021की दूसरी तिमाही के 70 अरब डॉलर से घटकर 2023 की दूसरी तिमाही में 33 अरब डॉलर रह गया है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक जीडीपी और व्यापार वृद्धि में नरमी के साथ, वैश्विक एफडीआई प्रवाह में नरमी आई है.

इसके अलावा, कुछ क्षेत्र-विशिष्ट कारक हैं, जैसे कि इंटरनेट और संबंधित क्षेत्रों के लिए वित्त पोषण (उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी दृष्टिकोण से), जो धीमा हो गया है और समुच्चय पर असर डाल रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निश्चित रूप से, भारत ने वास्तव में 2017 के बाद से वैश्विक एफडीआई प्रवाह में उच्च हिस्सेदारी हासिल की है. इसकी हिस्सेदारी 2017 की चौथी तिमाही में 2.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023 की पहली तिमाही में 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

ध्यान देने वाली एक और बात यह है कि कार्यान्वयन में कुछ खामियां हैं, जहां घोषणाएं तो कर दी गई हैं, लेकिन वास्तविक निवेश अभी तक नहीं हुआ है. उदाहरण के लिए, हमें अभी भी फॉक्सकॉन और इंटेल जैसी कंपनियों से इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण निवेश प्रतिबद्धताओं के बारे में खबरें मिल रही हैं, देश में लैपटॉप बनाने के लिए आठ कंपनियों के साथ सहयोग की घोषणा की हुई है.