New Delhi: CRPF ने अपने कर्मियों के लिए सोशल मीडिया उपयोग की नई गाइडलाइन जारी की है। सोशल मीडिया गाइडलाइन में बल के कर्मियों से विवादास्पद या राजनीतिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करने को कहा गया है।
इस संबंध में सीआरपीएफ हेडक्वार्टर द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि 'साइबर बुलिंग और उत्पीड़न" के खिलाफ बल के जवानों को जागरूक करने और उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं। इसमें अर्धसैनिक बल के कर्मियों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी गई है। इसके अलावा इन निर्देशों में संवेदनशील मंत्रालय या संगठन में काम करने पर सटीक पोस्टिंग और काम की प्रकृति का खुलासा नहीं करने की बात भी कही गई है।
ऐसा कुछ भी न करें जो इंटरनेट सोशल नेटवर्किंग पर सरकार या आपकी खुद की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाए।
सरकार की नीतियों पर प्रतिकूल टिप्पणी न करें या किसी सार्वजनिक मंच पर राजनीतिक/धार्मिक बयान न दें
विवादास्पद, संवेदनशील या राजनीतिक मामलों पर टिप्पणी न करें।
बल के कर्मियों को गुस्से, द्वेष या शराब के प्रभाव में कुछ भी लिखना या पोस्ट नहीं करना चाहिए।
अज्ञात व्यक्तियों से मित्र बनाने, जोड़ने, अनुसरण करने या अनुरोध स्वीकार करने पर सावधानी से विचार करें।
इसके अलावा, इन निर्देशों में उन्हें संवेदनशील मुद्दों, लैंगिक मुद्दों और विवादास्पद मुद्दों पर ऑनलाइन टिप्पणी करते समय अत्यंत विवेक का उपयोग करने की सलाह दी गई है। साथ ही यह साफ तौर पर कहा गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स आधिकारिक मामलों/शिकायतों पर चर्चा करने के लिए एक उपयुक्त मंच नहीं हैं। अगर यह जरूरी है तो बल के कर्मी अपनी शिकायतों को संस्थागत मंचों पर रख सकते हैं।
राजधानी दिल्ली में सीआरपीएफ हेडक्वार्टर ने बीते सप्ताह दो पन्नों के निर्देश जारी किए थे। सीआरपीएफ की यह प्रतिक्रिया तब आई थी जब यह देखा गया था कि बल के जवान अपनी व्यक्तिगत शिकायतों को दूर करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा ले रहे थे। बता दें कि कुछ साल पहले बल द्वारा इसी तरह के दिशानिर्देश जारी किए गए थे।
गौरतलब है कि सीआरपीएफ कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया पर टिप्पणी करना सीसीएस आचरण नियम 1964 का उल्लंघन है। इसके एवज में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है। लगभग 3.25 लाख कर्मियों वाला मजबूत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल मुख्य रूप से देश के तीन युद्ध क्षेत्रों - पूर्वोत्तर क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद (LWE), आतंकवाद विरोधी अभियानों और जम्मू-कश्मीर में कानून और व्यवस्था के कर्तव्यों और आतंकवाद विरोधी कार्यों में तैनात है।