नवजोत सिंह सिद्धू की रिहाई पर पेच फंस गया है. इससे पहले, नवजोत सिंह सिद्धू को 26 जनवरी को रिहा किए जाने की संभावना जताई जा रही थी. वहीं, अब सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, गणतंत्र दिवस पर रिहा होने वाले कैदियों की सूची को अभी पंजाब सरकार की मंजूरी नहीं मिली है.

बताया जा रहा है कि पंजाब सरकार की कैबिनेट की बैठक में जेल में बंद कैदियों की तैयार सूची पर विचार किया जाना है. यह बैठक पहले जहां 1 फरवरी. 2023 को होनी थी. वहीं, अब यह 3 फरवरी को होगी. ऐसे में पंजाब के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू के रिहा होने की उम्मीद कम है.

3 फरवरी को संभावित पंजाब कैबिनेट में फैसला लिए जाने के बाद इस फाइल को पंजाब के राज्यपाल के पास भी मंजूरी के लिए भेजा जाना है. पंजाब के सीएम भगवंत मान चाहें तो इसकी घोषणा कर सकते हैं. साथ ही फैसला भी ले सकते हैं. ऐसे में अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी होंगी कि पंजाब सरकार सिद्धू की रिहाई पर कोई फैसले को लेकर क्या रुख रहने वाला है.

साल 1988 के रोड रेज मामले में कांग्रेस के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला जेल में सजा काट रहे हैं. सिद्धू की रिहाई को लेकर कांग्रेस के एक खेमे में जश्न का माहौल है और उनके समर्थक बयान दे रहे हैं कि जेल से छूटने पर वे अपने नेता का जोरदार स्वागत करेंगे. चर्चा यह भी थी कि कांग्रेस आलाकमान खासकर प्रियंका गांधी नवजोत सिद्धू को बड़ी भूमिका देने के मूड में हैं. ऐसे में सिद्धू के रिहा न होने से उनके समर्थकों के मायूसी छाने की संभावना जताई जा रही है.

1988 के रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी. उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे और उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था. 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ, जो सेशन कोर्ट में चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया.

1988 के रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी. उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे और उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था. 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ, जो सेशन कोर्ट में चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया.