भारत की तीनों सेनाओं को मिलने वाला है अमेरिकी 'प्रीडेटर' ड्रोन, हिंद महासागर में चीनी जंगी जहाज पर नजर रखना होगा आसान
दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने शनिवार को कहा कि अमेरिका से 'प्रीडेटर' ड्रोन के एक बेड़े की प्रस्तावित खरीद का विषय प्रक्रिया में है। इस खरीद से जुड़ा मूल प्रस्ताव, चीन से लगी सीमा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तीन अरब डॉलर की लागत से 30 एमक्यू-9 बी प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने का था।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने क्या कहा
इस पर बोलते हुए नौसेना प्रमुख ने अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ''खरीद का यह विषय प्रक्रिया में है। हम इस बात पर चर्चा कर रहे है कि क्या (ड्रोन की) संख्या को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है।''
एमक्यू-9बी ड्रोन एमक्यू-9 ''रीपर'' का एक संस्करण है। आपको बता दें कि हेलफायर मिसाइल के संशोधित संस्करण को 'लॉंच' करने के लिए एमक्यू-9 रीपर का उपयोग किया गया था और इस मिसाइल ने पिछले महीने काबुल में अलकायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी का खात्मा किया था।
हिंद महासागर में निगरानी रखने के लिए गार्जियन ड्रोन को लिया गया था पट्टे पर
वर्ष 2020 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में निगरानी के वास्ते एक साल के लिए जनरल एटोमिक्स से दो एमक्यू-9 बी सी गार्जियन ड्रोन पट्टे पर लिया था और बाद में इसकी अवधि बढ़ा दी गई। एडमिरल कुमार ने कहा, ''पट्टे पर लिए गए ड्रोन का संचालन करते हुए हमने अच्छे अनुभव हासिल किए।''
चीन की जंगी जहाज पर निगरानी रखने के लिए खरीदा जा रहा है ड्रोन- भारतीय नौसेना
आपको बता दें कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीनी गतिविधियों, खासकर पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के जंगी जहाजों पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने में जुटी हुई है। ऐसे में नौसेना ने इन सशस्त्र ड्रोन की खरीद का प्रस्ताव दिया था।
गौरतलब है कि सशस्त्र बलों के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) को ऐसे 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना है। यह ड्रोन अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लक्ष्य को निशाना बनाने वाला पहला मानवरहित यान है।