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CM योगी पूर्वांचल के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का आज करेंगे निरीक्षण

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CM योगी पूर्वांचल के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का आज करेंगे निरीक्षण

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दो दिवसीय दौरे पर कल गोरखपुर पहुंचे.

आज मुख्यमंत्री गोरखपुर से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण करेंगे. इस दौरा गोरखपुर, संत कबीरनगर,बस्ती, अंबेडकर नगर ,गोंडा ,अयोध्या और बाराबंकी की बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करेंगे. मुख्यमंत्री के निरीक्षण को लेकर प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी हैं. मुख्यमंत्री निरीक्षण के लिए गोरखपुर महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक परिसर में बने हेलीपेड से रवाना होंगे.

गोरखपुर में कुछ दिनों से घाघरा और रोहिणी नदी का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ा था, लेकिन कल से नदियों के जलस्तर में गिरावट आई है. जिले में लगभग 46 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिसमें अधिकतर गांव गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित गोला और खजनी तहसील के हैं. गोला तहसील के 41 गांव जबकि खजनी तहसील के 5 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इन गांवों में प्रशासन ने लोगों की आवागमन के लिए 40 नाव लगाई हैं.

गोरखपुर जिले में अब तक 17791 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. प्रभावित गांव में राहत कार्यों के लिए 12.61 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन ने मेडिकल टीम को सक्रिय रखा है. चार मेडिकल टीम इन क्षेत्रों में लगाई गई हैं. प्रशासन ने इन क्षेत्रों में पीने के पानी और दवा की भी व्यवस्था की है. इसके अलावा लोगों को बीमारी से बचाने के लिए मेडिकल टीम पर्याप्त मात्रा में दवा की व्यवस्था ओआरएस, एंटी स्नेक वेनम और क्लोरीन की गोली उपलब्ध करा रही है.

मेडिकल टीम द्वारा अब तक 482 लोगों का उपचार किया जा चुका है. प्रशासन में बाढ़ प्रभावित लोगों की सुविधा के लिए जिला आपदा कार्यालय में बाढ़ कंट्रोल रूम की स्थापना की है, जोकि 24 घंटे सक्रिय रहेगा. सरयू और रोहिणी नदी का जलस्तर में कल गिरावट दर्ज की गई है गुरुवार की शाम 4:00 बजे अयोध्या पुल के पास सरजू नदी का जलस्तर 92.62 मीटर रिकॉर्ड किया गया है.

सरयू नदी खतरे के निशान से 11 सेंटीमीटर नीचे आ चुकी है. वहीं अगर रोहिन नदी की बात की जाए तो उस का जलस्तर 81.98 मीटर रिकॉर्ड किया गया है. रोहिणी नदी खतरे के निशान से 46 सेंटीमीटर नीचे आ चुकी है. नदियों के जल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है. अबकी बार गोरखपुर में राप्ती नदी खतरे के निशान को नहीं छू सकी है