उपलब्धि : एक और भारतीय को विदेशी कंपनी की कमान, ग्रामरली के नए CEO बने भारतीय मूल के राहुल रॉय
नई दिल्ली: दुनियाभर में भारतीयों का दबदबा कायम है। गूगल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट तक कई दिग्गज कंपनियों की कमान भारतीय मूल के सीईओ संभाल रहे हैं। अब एक और विदेशी कंपनी भारतवंशी के इशारे पर चलेगी। दरअसल, सैन फ्रांसिस्को बेस्ड इंग्लिश राइटिंग असिस्टेंस सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी ग्रामरली का सीईओ राहुल रॉय चौधरी को बनाया गया है। वह पहली मई, 2023 से कंपनी की बागडोर संभालेंगे। राहुल रॉय चौधरी फिलहाल, ग्रामरली में ग्लोबल हैड ऑफ प्रोडक्ट का पद संभाल रहे हैं। ग्रामरली के वर्तमान सीईओ ब्रैड हूवर ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में इस बात की जानकारी शेयर की है। हूवर ने लिखा कि अब हम अपने प्रोडक्ट और बिजनेस को लेकर एक नए मोड़ पर हैं।
We’re excited to announce that @rahulrc will be Grammarly’s next CEO, effective May 1, and @noaml joins Grammarly as Chief Product Officer today.
— Grammarly (@Grammarly) March 21, 2023
Hear from Grammarly’s current CEO, @brad_hoover, about our next chapter:https://t.co/sTXDRPjDHQ
अब हमें तेजी से और बड़े पैमाने पर आगे बढऩे की जरूरत है। इस मोड़ पर आगे बढऩे में नया नेतृत्व मददगार साबित हो सकता है। हूबर ने आगे लिखा कि 12 साल तक ग्रामरली को संभालने के बाद अब मैं कंपनी में ग्लोबल हैड ऑफ प्रोडक्ट राहुल रॉय-चौधरी को बैटन सौंप रहा हूं, जो सीईओ के रूप में पहली मई, 2023 से जिम्मेदारी संभाल लेंगे। उधर, ब्रैड हूवर ने अपने ब्लॉग पोस्ट में राहुल रॉय चौधरी की तारीफ करते हुए आगे लिखा कि ग्रामरली में अपने दो साल का कार्यकाल के दौरान अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से उन्होंने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने एक कंपनी के रूप में हमें ऊपरी स्तर पर बेहद मदद की है और हमारी सोच को आगे बढ़ाने का काम किया है।
गूगल में दे चुके हैं 14 साल सेवाएं
मरली में शामिल होने से पहले वह गूगल और एमेजॉन जैसी बड़ी कंपनियों में अहम पदों पर रह चुके हैं। ग्रामरली की सीईओ घोषित किए गए राहुल रॉय चौधरी सबसे लंबा कार्यकाल गूगल के साथ रहा था, जहां उन्होंने 14 साल अपनी सेवाएं दीं। उन्हें कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजमेंट का वाइस प्रेजिडेंट बनाया गया था और इस पद की जिम्मेदारी संभालने के दौरान ही उन्होंने मार्च, 2021 में कंपनी छोड़ दी थी। गूगल के बाद उनका नया पड़ाव ग्रामरली बना और बीते दो सालों से वह यहां कार्यरत हैं।