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Supreme Court: देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस संजीव खन्ना, वर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद संभालेंगे पद

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देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे हैं. इस बात की औपचारिक घोषणा गुरुवार को की गई. वह 10 नवंबर को वर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद संभालेंगे और पांच महीने तक इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे.

उनके प्रमुख फैसलों पर नजर डालें तो उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है.  कार्यकाल के दौरान आए पांच प्रमुख फैसलों पर चर्चा करते हैं.

2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था. चुनावी समय में यह माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जेल में ही रहेंगे. लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को जमानत देकर सबको चौंका दिया. बाद में उनकी बेंच ने केजरीवाल को नियमित जमानत भी दी.

बहुचर्चित बिलकिस बानो केस में, बलात्कार के दोषियों ने अपनी छूट को रद्द किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जस्टिस खन्ना की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिससे दोषियों को अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी. यह फैसला कड़ा और सख्त माना गया.

मुंबई के एक निजी कॉलेज द्वारा जुलाई में जारी सर्कुलर में हिजाब और टोपी पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इस सर्कुलर पर आंशिक रूप से रोक लगाई और कहा कि छात्राओं को अपनी पसंद से कपड़े पहनने की आजादी होनी चाहिए. बेंच ने यह सवाल भी उठाया कि अगर कॉलेज धार्मिक प्रतीकों को छिपाना चाहता था तो तिलक और बिंदी पर रोक क्यों नहीं लगाई गई.

जस्टिस खन्ना की बेंच ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम से जुड़े एक मामले में पंजाब सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में संत कबीर और गुरु रविदास के भक्तों की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने के आरोप में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि याचिका में पर्याप्त आधार नहीं हैं और राम रहीम को राहत दी.

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में, जस्टिस संजीव खन्ना ने हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस फैसले के बाद, शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति की याचिका पर नवंबर में सुनवाई होने वाली है.