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Swarved Mandir: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद मंदिर का वाराणसी में किया लोकार्पण,जानें कितना भव्य है मंदिर

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Swarved Mandir: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद मंदिर का वाराणसी में किया लोकार्पण,जानें कितना भव्य है मंदिर

संवाददाता अमित कुमार गुप्ता 

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में स्वर्वेद मंदिर के लोकार्पण किया.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी में उनका बीता हर क्षण अपने आप में अद्भुत है.

2 वर्ष पहले अखिल भारतीय विहंगम योग संस्थान के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए थे और एक बार फिर शताब्दी समारोह के ऐतिहासिक कार्यक्रम में आने का अवसर मिला. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा महर्षि सदाफल देव ने पिछली सदी में ज्ञान व योग की दिव्य ज्योति प्रज्ज्वलित की थी. इन 100 वर्षों की यात्रा में इस ज्योति ने देश-दुनिया के लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को परिवर्तित कर दिया है. इस पुण्य अवसर पर 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन हो रहा है. इस महायज्ञ की हर एक आहुति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा. यह मंदिर अध्यात्म, इतिहास व संस्कृति का जीवंत उदाहरण है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास व नवनिर्माण के नए कीर्तिमान गढ़े हैं. सरकार, समाज और संत गण मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं. आज स्वर्वेद मंदिर बनकर तैयार होना इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है. यह महामंदिर महर्षि सदाफल देव जी की शिक्षाओं, उपदेशों का प्रतीक है. इस मंदिर की दिव्यता जितनी आकर्षित करती है, इसकी भव्यता उतना ही अचंभित भी करती है.

मंदिर विहंगम योग संस्थान ने बनवाया है. स्वर्वेद महामंदिर वाराणसी शहर से 12 किमी उमरहा गाज़ीपुर राजमार्ग पर स्थित है. यह महामंदिर 3,00,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है. स्वर्वेद एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो विहंगम योग के संस्थापक, सद्गुरु श्री सदाफल देवजी महाराज द्वारा लिखा गया है. यहां एक साथ 20 हजार लोग योग कर सकते हैं.

संत सदाफल महाराज के विश्व के दर्जनों देशों में आश्रम हैं. वाराणसी का यह आश्रम सबसे बड़ा है. करीब 20 वर्षों से इस आश्रम के निर्माण की योजना पर काम किया जा रहा है. मकराना मार्बल से बने इस मंदिर की खासियत की चर्चा हर तरफ हो रही है. इसे स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना करार दिया जा रहा है. सात मंजिला यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर कहा जा रहा है.

स्वर्वेद मंदिर के निर्माण की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी. 19 वर्ष में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ है. इस मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के 4000 दोहे अंकित किए गए हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर भगवान की नहीं, योग- साधना की पूजा होती है. मंदिर की दीवारों पर अद्भुत नक्काशी की गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद मंदिर के पहले चरण का सोमवारको लोकार्पण किया. वह 2021 में भी मंदिर आए थे. तब ही उन्होंने इस मंदिर के लोकार्पण का निमंत्रण स्वीकार किया था. विहंगम योग संस्थान के प्रणेता संत सदाफल महाराज ने 17 वर्षों तक हिमालय पर स्थित आश्रम में इस ग्रंथ को लिखा. इसी ग्रंथ का नाम स्वर्वेद है.

स्वर्वेद महामंदिर के लोकार्पण के साथ ही संत सदाफल महाराज की 135 फीट ऊंची प्रतिमा का शिलान्यास भी पीएम मोदी ने किया. पीएम नरेंद्र मोदी का स्वर्वेद से जुड़ाव रहा है. उनकी मां हीराबेन अंतिम समय तक स्वर्वेद धाम से जुड़ी रही थीं. पीएम के भाई भी स्वर्वेद से जुड़े हुए हैं. स्वर्वेद दो शब्दों से बना है. स्वः और वेद. स्वः का मतलब आत्मा और परमात्मा है. वेद का मतलब ज्ञान है. आत्मा और परमात्मा का ज्ञान जिसके जरिए हो, वह ही स्वर्वेद है.

विहंगम योग संत समाज का 100वां वार्षिकोत्सव रविवार से शुरू हुआ है. इस मौके पर 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ हो रहा है. मंदिर के सभी तलों पर अंदर की दीवार पर लगभग 4000 स्वर्वेद के दोहे लिखे हैं. बाहरी दीवार पर 138 प्रसंग वेद उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि के प्रसंग पर चित्र बनाए गए हैं.