सरकार ने बंद किया नोएडा की दवा कंपनी मैरियन बायोटेक का प्रोडक्शन, सिरप पीने से उजबेकिस्तान में गई थी 18 बच्चों की जान

New Delhi: नोएडा की दवा कंपनी मैरियन बायोटेक के कफ सिरप डॉक-1 मैक्स पीने से उजबेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत मामले में भारत सरकार ने सख्त कार्रवाई की। भारत सरकार ने इस दवा कंपनी के पूरे प्रोडक्शन को रोक दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की टीम ने कफ सिरप की जांच की थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कफ सिरप दूषित है। इसके चलते मैरियन बायोटेक के नोएडा यूनिट में सभी तरह की दवाओं का निर्माण रोक दिया गया है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।
Following inspection by @CDSCO_INDIA_INF team in view of reports of contamination in cough syrup Dok1 Max, all manufacturing activities of Marion Biotech at NOIDA unit have been stopped yesterday night, while further investigation is ongoing.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 30, 2022
कंपनी के कानूनी प्रतिनिधि ने गुरुवार को कहा था कि डॉक-1 मैक्स का निर्माण ''फिलहाल'' बंद कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को कहा था कि फार्मा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने जानकारी दी थी कि मैरियन बायोटेक भारत में डॉक-1 मैक्स नहीं बेचती है। इसे सिर्फ उज्बेकिस्तान निर्यात किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को कहा था कि कफ सिरप के सैंपल नोएडा स्थित फैक्ट्री से लिए गए। उसे टेस्ट के लिए चंडीगढ़ के रिजनल ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेटरी भेजा गया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) 27 दिसंबर से मामले को लेकर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के साथ संपर्क में है।
27 दिसंबर को उज्बेकिस्तान ने भारत में बनी दवा पर सवाल उठाए थे। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया था कि भारतीय दवा कंपनी मैरियन बायोटेक द्वारा बनाई गई दवा डॉक-1 मैक्स सिरप का सेवन करने से कम से कम 18 बच्चों की मौत हो गई है। हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले बच्चों को 2 से 7 दिनों तक दिन में 3-4 बार सिरप दिया गया। बच्चों को एक बार में 2.5-5 मिली सिरप दिया गया। यह बच्चों के लिए दवा की मानक खुराक से अधिक है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि डॉक-1 मैक्स सिरप का मेन कम्पोनेंट पेरासिटामोल है। दवा दुकानदारों की सलाह पर बच्चों के माता पिता ने सिरप को सर्दी से बचाने वाली दवा मानकर गलत तरीके से बच्चों को दिया। उन्होंने डॉक्टर की सलाह के बिना ही बच्चों को दवा दी। इसके चलते बच्चों की स्थिति बिगड़ गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि लैब में की गई शुरुआती जांच में पता चला है कि डॉक-1 मैक्स सिरप में एथिलीन ग्लाइकॉल होता है। यह जहरीला पदार्थ है। 95% कॉन्सेंट्रेटेड घोल का लगभग 1-2 मिली/किग्रा रोगी के सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे उल्टी, बेहोशी, ऐंठन, हृदय संबंधी समस्याएं और किडनी फेल्योर हो सकता है।