5 मार्च से खरमास शुरू हो रहे हैं, जो 14 अप्रैल तक प्रभावी रहेगा. जिसके चलते मांगलिक कार्य विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नव प्रतिष्ठान, वधू प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार, देव प्रतिमा प्रतिष्ठा आदि के कार्यों पर विराम लग गया है.
धार्मिक कार्य विधि विधान से ही संपन्न होंगे. खरमास की यह अवधि एक माह तक रहती है. खरमास को लेकर शास्त्रों में वर्णित है. किन काम को करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होगी. हिंदू धर्म में शुभ काम करने से पहले शुभ ग्रह, शुभ नक्षत्र देखा जाता है. अगर ग्रह, नक्षत्र अनुकूल नहीं है तो शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. ऐसी मान्यताएं हैं.
शुभ मुहूर्त में किया गया काम, शुभ फल प्रदान करता है. इसलिए जब भी कोई शुभ काम किया जाता है. ग्रह , नक्षत्र, मुहूर्त देखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं. लेकिन धार्मिक कार्य करने के लिए यह महीना श्रेष्ठ माना जाता है. जिसमें धर्म और पुण्य का विशेष महत्व होता है. इस माह में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. जिससे जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. हालांकि खरमास का संबंध सूर्य से है और सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. सृष्टि में तेज का प्रतीक भी सूर्य है और सूर्य की उपासना से ही यश, कीर्ति, मान सम्मान, धन संपदा, वैभव की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य भगवान के पूजन का बहुत महत्व है. यदि जन्म कुंडली में सूर्य बलवान है तो व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
खरमास में सूर्य देव धनु और मीन राशि के संक्रांति में प्रवेश करते हैं. इसे खरमास की संज्ञा दी गई है. इस माह विशेष रूप से विवाह, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नींव भरवाना, विवाह संबंधित खरीद-फरोख्त करना बंद रहता है. वहीं कोई नई चीज भी घर में नहीं लाई जाती है. इस पूरे माह में भगवान सूर्य देव और विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इस खरमास में व्यक्ति को खान-पान में ध्यान रखना चाहिए.
खरमास के समय में मौसम का बदलाव होता है. कई प्रकार की बीमारी आती है. ऐसे समय चेचक, खसरा, खांसी, वायरस समस्याएं पाई जा रही हैं. इस समय एक वायरस H3N2 की संज्ञा दी गई है. जो बहुत खतरनाक है. जो खांसी, बुखार की स्थिति ला रहा है. यह स्थिति बढ़ सकती है. उन्होंने बताया कि इस समय व्यक्ति को अपने घर में रहना चाहिए ,