Epilepsy Disease: मिर्गी के रोग में जादू टोना से बचे, इलाज से मिर्गी का रोग हो सकता है ठीक
Epilepsy Disease : लगभग 70 प्रतिशत बच्चे, जिनको बचपन में मिर्गी थी, बड़े होने पर इससे छुटकारा पा जाते हैं। मिर्गी एक ऐसा रोग है, जिसके होने पर मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय आज भी कुछ लोग जादू-टोने और झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं।
आपको बता दें बाद में जब तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है तो डॉक्टर के पास आते हैं, लेकिन तब तक ब्रेन काफी डेमेज हो चुका होता है। मिर्गी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। कुछ प्रकार की मिर्गी बचपन में होती है तो कुछ बचपन बीतने के बाद समाप्त हो जाती है। लगभग 70 प्रतिशत बच्चे, जिनको बचपन में मिर्गी थी, बड़े होने पर इससे छुटकारा पा जाते हैं। कुछ मिर्गी के ऐसे भी दौरे हैं जैसे फेब्राइल सीजर जो बचपन में केवल बुखार के दौरे आते हैं और बाद में कभी नहीं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में करीब 50 लाख लोग मिर्गी रोग से पीड़ित हैं, जिसमें से 80 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं। मिर्गी दो प्रकार की होती है। आंशिक मिर्गी में दिमाग के एक भाग में दौरा पड़ता है और व्यापक मिर्गी में दिमाग के पूरे भाग में दौरा पड़ता है। लगभग 2 से 3 साल तक दवाइयां खाने से मिर्गी की बीमारी ठीक हो सकती है। सिर्फ कुछ केसेज में ही मिर्गी ठीक करने के लिए पूरी जिंदगी दवाई खानी पड़ती है। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही मिर्गी की दवाइयां शुरू करनी चाहिए। सिर्फ 10 से 20 फीसदी लोगों को ही आपरेशन की जरूरत पड़ती है। ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हैमरेज से भी मिर्गी होने के चांस रहते हैं।
मिर्गी के मुख्य कारणों में सिर पर चोट लगना, दिमागी बुखार आना, दिमाग में कीड़े की गांठ बनना, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन स्ट्रोक, शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना आदि शामिल है। अगर किसी को दौरा आता है तो उस समय व्यक्ति का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऐसे में रोगी को सुरक्षित जगह पर एक करवट लेटा दें। उसके कपड़े ढीले कर दें और उसे खुली हवा में रखे। आसपास भीड़ ना लगाएं व खुली हवा में रखें, सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखें। मिर्गी के दौरे के समय रोगी के मुंह में कुछ न डाले। मिर्गी रोगी अपने खाने पीने का ध्यान रखें। नियमित नींद और दवाइयां लें।