मौसम आधारित कृषि सलाह: धान की खेती के लिए लेही विधि को अपनाएं किसान
संवाददाता - गेंदलाल निषाद
राजनांदगांव: कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव द्वारा किसानों को खरीफ में विभिन्न फसलों में आने वाले मौसम आधारित कृषि सलाह दी गई है। सलाह में कहा गया है कि किसान धान फसल में लेही विधि अवस्था के तहत रोपा विधि की तरह ही मचाई कर खेत तैयार करें तथा अंकुरित बीज को खेत में पंक्ति में ड्रमसीडर या छिड़काव कर बोवाई करें। खुर्रा व कतार बोनी की गई धान फसल की उम्र 18-20 दिन हो जाने पर निंदा नियंत्रण हेतु विसपायरीबैक सोडियम सक्रिय तत्व (10 प्रतिशत) 250 मिली प्रति हेक्टेयर या फिनाक्साप्रापपी इथाइल सक्रिय तत्व (9.3 प्रतिशत) 625 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। खुर्रा व सीधी विधि से बोनी की गई धान की 20 से 25 दिन की अवस्था हो जाने पर बियासी कर सघन चलाई करें।
जिले में लगातार वर्षा होने अथवा बोआई में विलम्ब होने से बतर बोनी एव रोपणी (नर्सरी) की तैयारी करने का समय नहीं मिलने पर लेही विधि अपनाएं। खेत में अधिक पानी नहीं रखे अन्यथा बोये गये अंकुरित बीजों के सडऩे की संभावना रहती हैं।
जिन खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है, वहां 15-20 दिनों बाद की जाने वाली यूरिया की टॉप ड्रेंसिग करें। देरी से रोपाई की स्थिति में अधिक अवधि का थरहा होने पर उसकी पत्तियों के ऊपरी भाग को तोड़ कर प्रति हिल 3-4 पौधे लगाये। रोपाई से पूर्व थरहा को क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 3-4 मिली एवं 25 ग्राम यूरिया को 1 लीटर पानी में घोलकर 1 घण्टे तक जड़े डुबाकर उपचारित करें। इसके बाद रोपाई करें, जिससे तना छेदक एवं अन्य कीटों से रोकथाम हो सकेगी। मौसम पुर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में मध्यम वर्षा होने की संभावना है। जिसे देखते हुए किसान को रोपाई वाले क्षेत्रों में मेड़ बनाकर जल संचित करने की सलाह दी जाती है। धान फसल में एसआरआई (श्री) पद्धति में 10 से 12 दिन के पौधे को कतार तथा पौधे से पौधे की दूरी 25*25 सेमी रखते है। जिले में लगातार अधिक वर्षा होने की स्थिति में रोपाई नहीं करे एवं जल निकास की उचित व्यवस्था करें।