दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर उच्चतम न्यायालय ने CAQM से मांगी रिपोर्ट, अगली सुनवाई 31 को
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर रिपोर्ट मांगी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने प्रदूषण के मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण की समस्या और फसल अवशेष जलाने के बारे में दी गई दलीलों का संज्ञान लिया।
पीठ ने कहा कि न्यायमित्र ने सर्दियां आने के साथ ही फसल अवशेष जलाने से होने वाली वायु प्रदूषण की 'गंभीर समस्या' को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा है कि ये मुद्दे सीएक्यूएम के समक्ष हैं। पीठ ने कहा, ''हम सीएक्यूएम से राजधानी और उसके आसपास वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में तत्काल एक रिपोर्ट सौंपने का आग्रह करते हैं।" अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख तय की।
न्यायमित्र ने कहा कि आयोग इन मुद्दों से निपट रहा है और वे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट दे सकते हैं। छह अक्टूबर को सीएक्यूएम ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकारियों को होटलों और रेस्तरां में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और थर्मल पावर प्लांटों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था क्योंकि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब होनी शुरू हो गई है।
सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में लागू प्रदूषण नियंत्रण योजना 'ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' (जीआरएपी) के तहत यह कार्रवाई की गई है। सीएक्यूएम एक स्वायत्त निकाय है जिसे दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार करने का काम सौंपा गया है।