MP News: राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण के अनुसार खून की कमी से जूझ रहे हैं एमपी के 72 प्रतिशत बच्चे

संवाददाता अंकित कुमार
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार MP में लगभग 72 प्रतिशत बच्चे, 58 प्रतिशत किशोरी-बालिकाएं और 53 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया या रक्त अल्पता से ग्रसित हैं.
स्वास्थ्य के मोर्चे पर मध्य प्रदेश की हालत बेहद खराब है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार मध्य प्रदेश में पांच वर्ष तक की आयु के लगभग 72 प्रतिशत बच्चे, 58 प्रतिशत किशोरी-बालिकाएं और 53 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया या रक्त अल्पता से ग्रसित हैं. हालांकि, अब इससे निपटने के लिए सरकार ने एक बड़ा हेल्थ केम्पेन लांच किया है.
आयरन की भी है कमी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार मध्य प्रदेश में पांच वर्ष तक की आयु के लगभग 72 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित है. यह बेहद खतरनाक आंकड़ा है जो नौनिहालों को कई तरह की बीमारियों में जकड़ सकता है. इसी तरह 58 प्रतिशत किशोरी-बालिकाएं और 53 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं भी रक्त की कमी से जूझ रही हैं. इसके कारण बच्चों, किशोर-किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है. आयरन की कमी से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य परिणामों और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने 26 नवंबर से 2 दिसंबर तक आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया जागरूकता सप्ताह मनाया जायेगा. सप्ताह के अंतर्गत सामुदायिक जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन हेतु विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएगी.
बनायी जा रही योजना
इस दौरान समस्त शासकीय अनुदान प्राप्त शालाओं में छात्र-छात्राओं, आंगनबाड़ी केंद्रों, ग्रामीण स्तर में आयोजित होने वाले छात्रों में समुदाय के साथ आईएफए और एलबेंडाजोल गोलियों की उपयोगिता, उन्हें प्राप्त करने हेतु संस्थाओं की जानकारी, खाद्य विविधता (आयरन और विटामिन सी युक्त आहार) और एनीमिया पर चर्चा परामर्श संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा. महिला एवं बाल विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के समन्वय से सभी हितग्राही आयु वर्ग के बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती और धात्री माताओं, प्रजनन कालिक उम्र की महिलाओं में आईएफए की गोली का वितरण किया जाएगा.
ग्रामीण स्तर पर आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, एएनएम द्वारा स्व सहायता समूह और पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी से गांव के मुख्य क्षेत्रों में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम से संबंधित प्रचार-प्रसार सुनिश्चित की जाएगी. इस अभियान में जन समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी, ताकि सब मिलकर एक स्वस्थ एनीमिया मुक्त भारत का निर्माण कर सकें.