MP News: पुलिस बैंड में हिस्सा न लेना पुलिसकर्मियों को पड़ा भारी, 19 सिपाही सस्पेंड
Bhopal News: मध्य प्रदेश पुलिस ने सीएम के निर्देश पर अपना बैंड तैयार किया गया है। इसके लिए हर जिले से पुलिकर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है। पुलिस बैंड ने पहली बार महाकाल की सवारी में अपना प्रदर्शन दिया है। वहीं, सरकार के इस फैसले से पुलिसकर्मियों में नाराजगी भी और लोगों ने कोर्ट का रूख किया है। हालांकि कोर्ट से पुलिसकर्मियों को राहत नहीं मिली है। स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए बैंड में प्रैक्टिस के लिए कुछ पुलिसकर्मियों को नामित किया गया था लेकिन इसमें शामिल होने से उन लोगों ने मना कर दिया। इसके बाद 19 से अधिक पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
इन जिलों में कॉन्स्टेबल को किया गया सस्पेंड
25 जुलाई को, रायसेन, मंदसौर, खंडवा, सीधी और हरदा जिलों के एसपी ने पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। दरअसल, इन पुलिसकर्मियों के नाम सूची में होने के बावजूद ये स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए राज्य भर में हो रहे बैंड अभ्यास में शामिल नहीं हुए थे। निलंबन आदेश में, पुलिसकर्मियों पर ‘घोर अनुशासनहीनता और अवज्ञा’ का आरोप लगाया गया था।
एसपी की अनुमति के बिना नहीं छोड़ेंगे मुख्यालय
नोटिस में लिखा था कि निलंबन अवधि के दौरान, वे नियमों के अनुसार निर्वाह भत्ता पाने के हकदार होंगे। वे एसपी की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे और नियमों के अनुसार अपनी हाजिरी दर्ज कराएंगे। रायसेन एसपी विकास कुमार ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा कि अधिकारियों को प्रदर्शन के लिए बुलाया गया था और वे गायब हो गए। फिर उन्हें निलंबन नोटिस दिए गए और पुलिस लाइन में रहने का आदेश दिया गया। वे अभी तक नहीं आए हैं।
हाईकोर्ट पहुंचे पुलिसकर्मी
कई पुलिसकर्मी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर और ग्वालियर पीठ में गए। उनका कहना था कि उन्होंने कि न तो पुलिस बैंड में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दी थी और न ही इस संबंध में कोई आवेदन दिया था, क्योंकि वे कानून व्यवस्था और अन्य नियमित कार्यों का निर्वहन करके अपने कर्तव्यों का पालन करने में रुचि रखते हैं। उन्होंने तर्क दिया था कि पुलिस बैंड के हिस्से के रूप में उनके नाम का उल्लेख करने वाला आदेश ‘मनमाना और अवैध’ था। पुलिसकर्मियों का आरोप था कि इसके बारे में हमारी राय नहीं ली गई।
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
पुलिस ने हाईकोर्ट में अपने जवाब में कहा कि पहले लिखित सहमति मांगी गई थी, लेकिन कोई भी सहमति देने के लिए उपस्थित नहीं हुआ। इस कारण एक आम सूची तैयार की गई थी। पांच पुलिसकर्मियों को उस समय (29 मई) ग्वालियर पीठ में बैठे न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने उनकी याचिका खारिज कर दी। उन्होंने स्कॉटिश निबंधकार और इतिहासकार थॉमस कार्लाइल का हवाला देते हुए कहा कि संगीत को देवदूतों की भाषा कहा जाता है।
पुलिसकर्मियों को राहत नहीं मिली
कोर्ट ने कहा था कि जब जनता उन्हें सांस्कृतिक और औपचारिक कार्यक्रमों में आमंत्रित करती है तो पुलिस बैंड बनाना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सहमति के अभाव पर, अदालत ने फैसला सुनाया कि पुलिस प्रशिक्षण को ‘निरंतर कौशल वृद्धि कार्यक्रम के रूप में माना जा सकता है, इसलिए, याचिकाकर्ताओं से कोई पूर्व सहमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि पुलिस एक अनुशासित बल है और इसलिए, याचिकाकर्ताओं द्वारा यह दलील नहीं दी जा सकती है कि वे अपनी सहमति के अनुसार कर्तव्यों का पालन करने के हकदार हैं। यह अनुशासित बल के विपरीत होगा। गौरतलब है कि 1 अगस्त को, जबलपुर के तीन कांस्टेबलों ने ग्वालियर पीठ के आदेश से अवगत होने के बाद अपनी याचिकाएं वापस ले लीं। उनके मामले में, अदालत ने पुलिस को चेतावनी दी कि वह याचिकाकर्ताओं के नुकसान के लिए जबरदस्ती आगे न बढ़े। यदि याचिकाकर्ता निलंबन के आदेश के खिलाफ अपील पसंद करते हैं, तो उस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
ये है आदेश
इस पहल की घोषणा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की थी। उन्होंने विभिन्न जिलों में स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पुलिस बैंड बनाने की कल्पना की थी। 29 जुलाई को, उज्जैन के महाकाल सवारी समारोह में 350-सदस्यीय पुलिस बैंड ने प्रस्तुति दी। 18 दिसंबर, 2023 को, पुलिस मुख्यालय (भोपाल) द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया था। इसमें हर बटालियन में पुलिस बैंड बनाने के निर्देश जारी किए गए थे क्योंकि यह जनता की नजर में पुलिस की सकारात्मक छवि लाने में सहायक होगा । इसमें 45 वर्ष उम्र सीम तय की गई थी।