MP Toll Tax: नई सड़कों पर टोल टैक्स वसूली निजी हाथों में नहीं दी जाएगी
संवाददाता अमित कुमार गुप्ता
Bhopal: मध्य प्रदेश की सड़कों पर अब सड़क विकास निगम ही टोल वसूलेगा। स्टेट हाइवे पर बनने वाली नई सड़कों के लिए जारी टेंडर की शर्तों में ही इसके प्रविधान होंगे। इसके एवज में सड़क निर्माण करने वाली ठेका एजेंसी को सड़क बनाने में व्यय होने वाली राशि का 40 प्रतिशत निर्माण के समय और शेष 60 प्रतिशत राशि 15 साल का अनुबंध कर प्रतिशत वर्ष भुगतान की जाएगी।
दरअसल, निगम का मानना है कि सड़क बनने के बाद आवागमन बढ़ता है और इससे ठेका एजेंसी प्रतिवर्ष लाभ उठाती हैं, लेकिन अगर सड़क विकास निगम टोल टैक्स वसूलेगा तो आवागमन बढ़ने के साथ ही निगम की आय भी बढ़ेगी। नई सड़कों का ट्रेफिक सर्वे कराकर तय किया जाएगा टोल कितना और कहा वसूला जा सकता है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन और स्थानीय लोगों से सुझाव भी लिए जाएंगे।
यूजर फी योजना के तहत होगी टोल वसूली
बजट के अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों को जुटाने के लिए एमपीआरडीसी (मप्र सड़क विकास निगम) द्वारा निर्मित मार्गों को यूजर फी योजना के तहत चयन के लिए यातायात की गणना कर संभावित वार्षिक संग्रहण राशि (एपीसी) का निर्धारण किया जाएगा। निर्मित मार्गों का टीओटी (टोल ऑपरेट एंड ट्रांसफर), ओएमटी (ऑपरेट मेंटेन एंड ट्रांसफर) माडल में परीक्षण कर विकसित किए जाएंगे।
यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा और वहां से स्वीकृति के बाद टोल टैक्स का निर्धारण कर वसूली की व्यवस्था की जाएगी। यातायात की गणना के आधार पर संभावित राजस्व का आंकलन कर वार्षिक अनुमानित संग्रहण (एपीसी) निर्धारण के बाद प्रारंभिक तौर पर केवल व्यवसायिक वाहनों से टोल वसूला जाएगा, इसके बाद आवश्यक होने पर निजी वाहनों से भी टोल टैक्स वसूलने का निर्णय लिया जा सकेगा।
वर्तमान में इन सड़कों पर निगम वसूल रहा टोल
उज्जैन-मक्सी मार्ग
मलहेरा-चंदला मार्ग
शाजापुर-नलखेड़ा मार्ग
14 नई सड़कों पर निगम वसूलेगा टोल
सड़क विकास निगम उज्जैन-जावरा, इंदौर-उज्जैन के अलावा 14 नई सड़कें बना रहा है। इन सड़कों पर निगम ही टोल टैक्स वसूलगा। इसके लिए यातायात गणना के आधार पर टोल टैक्स का निर्धारण किया जाएगा। 14 नई सड़कों में पांच सड़कें ऐसी हैं, जो उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगी हैं। ऐसे में यहां यातायात बढ़ने की संभावना अधिक है। यहां निगम द्वारा टोल वसूलने से राज्य का राजस्व संग्रहण बढ़ेगा और निगम आर्थिक रूप से भी सशक्त होगा।