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मोदी-मामा की डबल इंजन की सरकार में सीता माता की बेटियां सुरक्षित नहीं है: साधना भारती

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 मोदी-मामा की डबल इंजन की सरकार में सीता माता की बेटियां सुरक्षित नहीं है: साधना भारती

प्रदेश आये दिन बेटियों के साथ व्यभचार, बलात्कार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं: साधना भारती

मोदी-मामा की डबल इंजन की सरकार में किसान, नौजवान, महिलाएं, शिक्षक और बच्चे त्रस्त : साधना भारती

मामा सरकार घोटालों में व्यस्त और मोदी-मामा प्रचार में मस्त: साधना भारती

प्रधानमंत्री मोदी जन्म से ओबीसी नहीं हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुये मोदी जी ने अपनी अगड़ी जाति को ओबीसी में शामिल कराया: साधना भारती

भोपाल: अगर रूप बदलने में माहिर मामा मारीच के साथ बाबा रूप में रावण न आता तो माता सीता का हरण न हो पाता। रावण राज में भी हजारों राक्षसों के बीच सीता माता सुरक्षित रहीं। मगर आज मोदी-मामा की डबल इंजन की सरकार में सीता माता की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि प्रति दिन बेटियों के साथ व्यभचार, अत्याचार, अनाचार, दुराचार और बलात्कार की घटनाएं सामने आती हैं।

 
इंदौर में भाजपा नेत्री के पुत्र एक नाबालिग से बलात्कार जैसा कुकृत्य करते हैं, नाबालिग के गर्भवती होने पर इस दुष्कर्म का खुलासा होता है, पर मोदी-मामा मौन हैं। इंदौर में ही एक चार की बच्ची के साथ उसी के स्कूल वेन का ड्रायवर मासूम बच्ची के साथ दरिन्दगी करता है, पर मोदी-मामा मौन हैं। कुछ ही दिन पहले महाकाल की नगरी उज्जैन में एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार की घटना सामने आयी। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में एक रेप पीड़िता को मेडिकल के लिए पांच घंटे तक अस्पताल प्रशासन ने यहां से वहां घुमाया, पर मोदी-मामा मौन हैं।

आखिर, कब तक जिंदा लाश बनकर जीती रहेगी बेटियां, कब तक नासूर बने जख्मों को सहती रहेंगी बेटियां। अब बेटियां और चुप नहीं रहेंगी। अपने सम्मान-स्वाभिमान की सुरक्षा के लिए कंस मामा बन चुके शिवराज सिंह चौहान को उनकी कुर्सी से हटायेंगी और सदैव महिलाओं का सम्मान करने वाली महिलाओं को नगर निगम निकायों में 50 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी दिलाने वाली, देश को प्रथम महिला प्रधानमंत्री, प्रथम महिला राष्ट्रपति, प्रथम महिला दलित लोकसभा स्पीकर देने वाली कांग्रेस को सत्ता की कुर्सी पर बैठायेगी। 


डबल इंजन की मोदी-मामा सरकार प्रदेश में हर पैमाने पर फेल साबित हुई। दमोह के जिला अस्पताल में फर्स पर दरी बिछाकर बच्चों का इलाज किया जा रहा है। एक-एक पलंग पर दो-दो- तीन-तीन बच्चों का इलाज हो रहा है। अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। हाल ही में अटल बिहारी वाजपेयी आरोग्य एवं पोषण मिशन की रिपोर्ट सामने आयी है। प्रदेश में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 21 हजार से भी ऊपर पहुंच गयी है, 57 हजार मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या है। पिछली बार से कुपोषित बच्चों की संख्या में बढोतरी हुई है।

भोपाल सहित ग्वालियर, इंदौर, चंबल, रीवा, सागर और उज्जैन में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक हुई है। ये वो बच्चे हैं जो रोज आंगनबाड़ी जाते हैं। तथाकथित मामा इस पर भी मौन हो जाते हैं। 
स्कूलों में पद खाली हैं, लेकिन पोर्टल पर रिक्त पद प्रदर्षित नहीं हैं। जिसके कारण कई शिक्षकों को पोस्ट ही नहीं मिल पा रही है। शिक्षा विभाग में शिक्षकों की पदोन्नति की कार्यवाही 10 साल बाद हुई है। परंतु उसमें भी सरकार की लापरवाही के कारण  शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और मामा जी इस पर भी चुप हैं। 


मोदी जी अपनी डबल इंजन की सरकारों के लिए रोज नये झूठे जुमले परोस रहे हैं। ऐसा लगता है कि या तो मोदी जी की स्मरण शक्ति 95 प्रतिशत कमजोर हो गई है या फिर मोदी जी की झूठ बोलने की 95 प्रतिशत शक्ति जागृत हो गई है। इसलिए मोदी जी भोपाल में रानी दुर्गावती भव्य रेल्वे स्टेशन की झूठी बात करते हैं। हर साल नया आईआईटी, आईआईएम बनाने की बात करते हैं। और तो और मेघालय के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री संगमा की सरकार को सबसे भ्रष्ट बताकर चुनाव परिणाम के बाद उन्हीं के बगल में खड़े होकर उनकी पार्टी एनपीपी को भाजपा का समर्थन जताते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने तेलंगाना में महाझूठ बोलते हुए कहा कि कोई भी भ्रष्टाचारी उनके बगल में बैठकर उनका ताप सहन नहीं कर सकता। यह बात अलग है कि मोदी जी के बगल में बैठने वाला मोदी जी के महाझूठ और जुमलों का ताप सहन नहीं कर पाता। 
भाजपा वालों स्मरण शक्ति तेज करने की ब्रह्म बूटी मोदी जी को घोंट-घोंट कर पिलाओ और 73 साल के हो चुके बयोवद्ध मोदी जी को मार्गदर्शक मंडल में पहुंचाओ और ओबीसी और महिलाओं के हितेषी हो तो पिछड़े वर्ग की कद्दावर नेता उमा भारती जी को 2024 के चुनाव में पीएम का दावेदार बनाकर दिखाओ। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो पिछड़े, हितैषी होने का स्वांग न रचाओ। 


अगर मोदी जी जन्मजात ओबीसी होते तो ओबीसी जाति की जनगणना जरूर कराते। संख्याबल के अनुपात में ओबीसी सहित सर्वसमाज को विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, मीडिया और निजी क्षेत्रों में भागीदारी जरूर दिलाते। अगर मोदी जी जन्मजात ओबीसी होते तो बिहार के ओबीसी मुख्यमंत्री नितिश कुमार के डीएनए में गड़बड़ी नहीं बताते।