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8 दशक तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद 93 साल की महिला ने जीता मुकदमा

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 8 दशक तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद 93 साल की महिला ने जीता मुकदमा

महाराष्ट्र के मुंबई में एक 93 साल की महिला ने 8 दशक तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मुकदमा जीता है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को दक्षिण मुंबई के 2 फ्लैटों को उसके वास्तविक मालिक एक 93 साल की महिला को सौंपने का निर्देश दिया है।

यह दोनों फ्लैट दक्षिण मुंबई में रूबी मेंशन की पहली मंजिल पर स्थित हैं और क्रमशः 500 वर्ग फुट और 600 वर्ग फुट के हैं।

आपको बता दें कि 28 मार्च, 1942 को तत्कालीन भारतीय रक्षा अधिनियम के तहत इस फ्लैट में उस वक़्त के ब्रिटिश शासकों को रहने की इजाजत दी गई थी। न्यायमूर्ति आरडी धानुका और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ ने 4 मई के अपने फैसले में कहा कि जुलाई 1946 में डी-डिमांड ऑर्डर पारित होने के बावजूद, फ्लैटों को कभी भी मालिक एलिस डिसूजा को वापस नहीं लौटाया गया था। संपत्तियों पर अभी एक पूर्व सरकारी अधिकारी के कानूनी उत्तराधिकारियों का कब्जा है।

एलिस डिसूजा ने अपनी याचिका में कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार और मुंबई के कलेक्टर को जुलाई 1946 के डी-डिमांड ऑर्डर को लागू करने और उन्हें फ्लैट का कब्जा देने का आदेश देने की मांग की थी। 93 साल की महिला की याचिका का विरोध फ्लैट के वर्तमान निवासियों ने किया। फ़िलहाल, फ्लैट में रहने वाले डीएस लॉड के कानूनी उत्तराधिकारी हैं, जिन्हें 1940 के दशक में मांग आदेश के तहत फ्लैट सौंपा गया था। लॉड उस वक़्त सिविल सेवा विभाग में एक सरकारी अफसर थे।

एलिस डिसूजा ने अपनी याचिका में दावा किया कि मांग का आदेश वापस ले लिया गया था, किन्तु इसके बावजूद फ्लैट का कब्जा वास्तविक मालिक को नहीं सौंपा गया था। याचिका में कहा गया है कि बिल्डिंग के अन्य फ्लैटों का कब्जा उसके असल मालिकों को सौंप दिया गया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि परिसर का भौतिक कब्जा कभी भी मालिक (डिसूजा) के हवाले नहीं किया गया था और इसलिए अधिग्रहण पूरा नहीं हुआ था। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि, 'हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वर्तमान मामले में परिसर की मांग जारी है।'

इसके साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आठ हफ्ते के अंदर वर्तमान रहने वालों से कब्जा लेने के बाद याचिकाकर्ता मालिक (डिसूजा) को खाली और शांतिपूर्ण कब्जा सौंपने का आदेश दिया।