Bharat tv live

पूर्व मंत्री राजा अरिदमन सिंह को सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने , सिविल एंक्लेव पर तथ्य पत्र सौंपा

 | 
सिविल एविएशन प्रोजेक्ट (पं. दीन दयाल उपाध्याय आगरा एयरपोर्ट) संबधित तथ्‍य पत्र

सिविल एविएशन प्रोजेक्ट (पं. दीन दयाल उपाध्याय आगरा एयरपोर्ट) संबधित तथ्‍य पत्र

नागरिक उड्डयन मंत्रालय की उन शहरों को भी एयर कनैक्‍टिविअी उपलब्‍ध करवाने की नीति है,जहां कि पूर्व में कोई नियमित फ्लाइट नहीं थी। कई स्थानों पर तो इसके लिये नये हवाई अड्डे भी बनाए गए तथा मौजूदा हवाई अड्डो या हवाई पट्टियों का उच्चीकरण किया गया। फ्लाइट आपरेटरों को होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई करने को उन्‍हें रीजनलएयर कनेक्टिविटी योजना ( UDAN Flight under Regional Connectivity Scheme --RCS) के तहत लाया गया।जिससे एयरलाइंसों की सह्दुलेद हेदुलेद शैडरूल्‍ड फ्लाइटों को अधिक यात्री उपलब्ध हो सके और एयर टिकट को खरीदने में आम आदमी अपने को सक्षम मान सके।

भारत सरकार की आम आदमी के लिये बनायी गयी उडान (UDAAN) योजना का लाभ देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले लोगों को भले ही मिलता रहा हो किन्तु आगरा के नागरिकों के साथ योजना के तहत कोई राहत संभव नहीं हो सकी। जबकि आगरा एक ऐसा स्थान है जो कि जहां देशी विदेशी पर्यटकों के अलावा स्टूडेंट्स,डॉक्टर ,व्यापारी , और दूर दराज स्थानों पर सेवारत भी हवाई यात्रा को अपनी जरूरत मानते हैं।

स्थापित स्थानीय जरूरत होने के बावजूद ,पता नहीं भारत सरकार अब तक आगरा के प्रति उदार रवैया क्यों नहीं दिखा सकी है। स्थानीय जनप्रतिनिधि तक एयर कनेक्टिविटी के मुद्दे पर खामोश क्यों रहते हैं।

शिफ्टिंग प्रोजेक्ट को नया या ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तुत करना

सिविल एन्‍कलेव का वायुसेना परिसर में बनाये रखना देश की सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा है। इसी लिये इसे वायुसेना परिसर से बाहर लाने की कोशिश दो दशक पूर्व ( कारगिल युद्ध के बाद ) से शुरू हो गयी थी।वाकायदा एक शिफ्टिंग प्रोजेक्ट होने के बावजूद जब भी इसकी डी पी आर बनी है और शासकीय पत्राचार हुआ है तब इसे नये प्रोजेक्ट (ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट ) के रूप में ही प्रस्तुत किया गया है। जबकि सर्वविदित है कि ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी के नियमों में शिफ्टिंग प्रोजेक्ट या रिलोकशन प्रोजेक्टों को ग्रीनफील्ड प्रोजेक्‍टों की तुलना में अधिक उदारताओं को प्राविधान है ।

आम नागरिक और सहज समझ तक सीमित होने से मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में प्रोजेक्‍ट की क्‍लीयरैस मिलने में जितनी भी बाधाये आयीं उनका कारण 'सिविल एन्‍कलेव प्रोजेक्‍ट ' को ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाना है।   

सिविल एयरपोर्ट का वायुसेना परिसर में होना

आगरा के हवाई यात्रा और हवाई जहाज से माल ढुलाई कारोबार में रुकावट का सबसे बडा कारण सिविल एयरपोर्ट का एयर फोर्स परिसर में होना है। सिविल एन्‍कलेव को वायुसेना परिसर से बाहर लाने के लिये धनौली, बल्‍हेरा और अभयपुरा गांवों में जमीन अधिग्रहित हो चुकी है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पैसे से इस पर उ प्र लोक निर्माण विभाग के द्वारा बाउंड्री भी करवायी जा चुकी है।

इस पर एयर टर्मिनल बनाये जाने को टाटा कंसल्टेंसी से डी पी आर भी तैयार करवा ली गयी ,जिसे सुप्रीम कोर्ट में अनुमति के लिये दाखिल भी कर दिया गया और इसके आधार पर कुछ शर्तों के आधार पर निर्माण की अनुमति भी मिल गयी। लेकिन कुछ साल बाद इसे रद्द कर नये कंसल्टेंट को नियुक्त कर दिया है। समझ से परे है कि सिविल एन्‍कलेव के निर्माण का काम भारत सरकार के द्वारा फिर भी शुरू क्‍यों नहीं करवाया जा सका।

प्रदूषण को लेकर आधारहीन आशंकायें

हवाई यातायात से वायु प्रदूषण बढ़ने का खतरा भी इस वाद में कोर्ट के द्वारा नियुक्त कानूनी पहलुओं की जानकारी देने वाले (amicus curiae) अमिकस क्यूरी बताते रहे हैं ।वह भी इस तथ्य के बाद कि देश में अब तक हवाई जहाज में इस्तेमाल किये जाने वाले वायुयान ईंधन (Aviation Turbine Fuel -ATF ) के इस्तेमाल से जनित प्रदूषण का कोई विश्वसनीय डेटाबेस मौजूद नहीं है और नहीं कभी किसी भी एयरपोर्ट के संबंध में इस प्रकार के डेटाबेस का इस्तेमाल हुआ है।

क्या जानकारी दी जा सकती है कि दिल्ली के टर्मिनल 3, हिंडन एयरपोर्ट और शीघ्र ही शुरू होने जा रहे जेवर के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का दिल्ली एन सी आर के वायु प्रदूषण में कितना योगदान होगा, दरअसल नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार के तहत संचालित एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एटीएफ उपयोग से उत्सर्जित प्रदूषण के आधार पर एयरपोर्टों को अनुमति दिये जाने की कोई नीति ही नहीं है।

वैसे भी वास्तविकता यह है कि ताज महल या नागरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लायक गैसीय या अन्‍य प्रदूषणकारी उत्‍सर्जन ( Nano-sized particles - Particulate matter )एविएशन टर्बाइन फ्यूल के द्वारा किया ही नहीं जाता ।

वायुयान उडान के कुछ ही समय में 30 हजार फुट या उससे ऊपर की हवाई परत में होता है, सामान्यतः: इतनी ऊंचाई पर बादल होते हैं जो कि ताज ट्रिपेजियम जोन के अध्ययन या निगरानी के दायरे में नहीं आते।

लचर पैरोकारी

जो फीडबैक आम नागरिक संगठन के तौर पर सिविल सोसायटी को मिलता रहा है, उसके अनुसार पूरे केस में एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से अपनी पैरवी में कोर्ट के समक्ष अनेक महत्वपूर्ण तथ्‍यात्‍मक जानकारियां नहीं रखी जा सकी हैं: --

(1) कोर्ट को अब तक आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया जाता कि यह एक शिफ्टिंग प्रोजेक्‍ट है। फलस्‍वयप जो भी पूछताछ अब तक सरकारी वकील से amicus curiae के द्वारा की जाती रही है ,वह वैसा ही है जैसी किसी भी ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट को लेकर होती है।

(2) कोर्ट के समक्ष अब तक यह तथ्‍य नहीं लाया जा सका कि सिविल एन्‍कलेव को वायुसेना परिसर से निकालने का मकसद परिसर से संबधित सुरक्षात्मक कारणा हैं।

(3) वायुसेना परिसर में सिविल एन्‍कलेव तक की पहुंच आम हवाई यात्री के लिये बेहद मुश्किल है। जिसके कारण अक्सर अप्रिय स्थितियां उत्पन्न होती हैं।

(4)शिफ्टिंग का स्थान मौजूदा सिविल एन्‍कलेव से ताजमहल से कहीं दूर है और लगभग 10 कि मी के एरियल डिस्टेंस से बाहर है।

(5) एयरक्राफ्ट को एन्‍कलेव की पार्किंग या यात्रि लाऊंज बोर्डिंग प्लेटफार्म से वायु सेना के रनवे तक लाने ले जाने का काम पावर बैक सिस्टम से किया जाएगा जिससे कि इलेक्ट्रिक व्‍हेकिल का इस्तेमाल होगा ,जबकि वर्तमान में पुशबैक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का प्रचलन है। जिसमें वायुयान को अपने इंसानों को चालू रख कर ही टैक्सी ट्रैक होकर रनवे तक आना जाना पडता है।

(6) उ प्र सरकार को अपना वकील खडा कर सबलता के साथ पैरवी करनी चाहिये।(

7) सुप्रीम कोर्ट में , उसके ही पूर्व आदेशों के द्वारा दिये कुछ प्रतिबंधों को हटाकर अनुमति दिए जाने की प्रार्थना भारत सरकार के वकील के द्वारा की जानी है किन्तु कोई आधारभूत बड़ा कारण या नया तथ्‍य कोर्ट में पेश किये जाने की तैयारी के बिना इस प्रकार की सुनवाई से किसी प्रकार की राहत मिलने की संभावना नहीं है। एक प्रकार से यह रिव्यू पिटीशन के रूप में ही लिया जाना अनुमानित है। इस प्रकार के मामलों में सुप्रीम कोर्ट किसी बड़ी राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती ।

उपरोक्‍त को दृष्टिगत एयरपोर्ट अथॉरिटी, उ प्र सरकार और ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी से अनुरोध है कि तथ्‍यात्‍मक जानकारियां संग्रहित की जायें और उन्‍हीं को आधार बनाकर कोर्ट में अपना पक्ष रखा जाये।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने पूर्व मंत्री श्री राजा अरिदमन सिंह को एक रिप्रेजेंटेशन दे कर सारे तथ्यों से अवगत कराया। पूर्व मंत्री ने अपने कार्य काल में आगरा में गंगा जल प्रोजेक्ट लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और आई एस बी टी अपने कार्यकाल में बनवा कर आगरा को अच्छा बस अड्डा दिया।उन्हों सिविल एंक्लेव के अवरोध को दूर करने के,दिए गए तथ्यों को दिल्ली और लखनऊ में संबंधित लोगों को सशक्त तरीके से अवगत कराने का आश्वासन दिया है।

आज की प्रेस कांफ्रेंस को Dr. संजय चतुर्वेदी, अधिकार सेना के श्री विशाल सैनी, श्री शिरोमणि सिंह , श्री राजीव सक्सेना और अनिल शर्मा ने संबोधित किया।