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बरेली SSP के ट्रांसफर पर पूर्व DGP का ट्वीट, नेताओं के आगे न झुकने की सजा

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बरेली SSP के ट्रांसफर पर पूर्व DGP का ट्वीट, नेताओं के आगे न झुकने की सजा

UP: ईपीएस प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर को लेकर सोशल मीडिया में जबर्दस्त बहस चल रही है. बीती रात उन्हें बरेली के SSP पद से हटाकर एक महत्वहीन पद पर बैठा दिया गया है. कहा जा रहा है कि बरेली में एक मस्जिद के आगे उन्होंने कांवड़ियों को डीजे नहीं बजाने दिया.

इसके खिलाफ जब कांवड़िए धरने पर बैठ गए तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. बरेली के बीजेपी नेताओं ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कर दी. बीजेपी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने रविवार शाम को मुख्यमंत्री के फोन किया. उन्होंने बताया कि आपके राज में कांवड़ियों को लाठियों से पीटा गया. इसके लिए एसएसपी प्रभाकर चौधरी जिम्मेदार हैं. इस फोन के 4 घंटे बाद ही प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर आर्डर आ गया.

यूपी के पूर्व डीजीपी जावीद अहमद कहते हैं कि नेताओं के आगे न झुकने की सजा प्रभाकर चौधरी को मिली है. एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए वे लिखते हैं कि 10 साल की नौकरी में प्रभाकर चौधरी का 21 बार तबादला हुआ. जावीद अहमद योगी सरकार के पहले डीजीपी थे. यूपी की बीजेपी सरकार में डीजीपी रहे एक और पूर्व IPS ने कहा कि जब भी कहीं लॉ एंड आर्डर खराब होता था, हम प्रभाकर को वहां भेजते थे.

उन्होंने कहा कि अच्छे और ईमानदार अफसरों के बार-बार तबादले से उनका मनोबल टूटता है. उन्होंने अपना नाम न बताने की शर्त पर ये बातें बताई. वैसे विवादों का भी प्रभाकर चौधरी से रिश्ता रहा है. सीतापुर में जब प्रभाकर एसपी थे, तब वकीलों के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई कर दी थी. इसके खिलाफ प्रदेश भर के वकीलों ने प्रभाकर चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. बाद में उनका ट्रांसफर भी हो गया. आगरा के ASP रहते हुए एक वकील नितिन वर्मा के खिलाफ एक्शन पर उन्हें पहले NHRC से नोटिस मिला और फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट से फटकार भी मिली.

एक और रिटायर्ड डीजीपी ने कहा कि अगर ऐसा ही होता रहा तो फिर कोई पुलिस अफसर कैसे अपनी ड्यूटी कर पाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि जब सरकार को सच पता चलेगा तो शायद प्रभाकर चौधरी के साथ न्याय हो. बता दें कि प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के यूपी कैडर के IPS अधिकारी हैं. वे अंबेडकरनगर जिले के रहने वाले हैं. इस्पात यूनिवर्सिटी से उन्होंने कानून की पढ़ाई की और फिर सिविल सेवा की परीक्षा पास कर IPS अफसर बन गए.

उनकी छवि एक तेज तर्रार और ईमानदार अधिकारी की रही है. उनकी सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि वे किसी की पैरवी नहीं सुनते हैं. एडीजी रैंक के एक IPS अफसर ने बताया कि एक बार एक मंत्री ने प्रभाकर चौधरी से हवालात से एक लड़के को छोड़ने को कहा, लेकिन उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. बाद में ये मामला उन तक पहुंचा.

10 साल के कैरियर में IPS अफसर प्रभाकर चौधरी 18 जिलों के SP या फिर SSP रहे, लेकिन वे कभी भी लंबा नहीं टिक पाए. उनका औसत कार्यकाल 4 से पांच महीनों का रहा है. वे बरेली, मेरठ, आगरा, वाराणसी और मुरादाबाद जैसे बड़े जिलों के एसएसपी रहे. जब सोनभद्र में नरसंहार हुआ था, तब उन्हें वहां का पुलिस कप्तान बनाकर भेजा गया था. बुलंदशहर में जब पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की भीड़ ने हत्या कर दी, तब भी उन्हें हालात संभालने के लिए भेजा गया था.

कानपुर में जब उन्हें एसपी ग्रामीण बनाया गया था तो वे लखनऊ से कानपुर बस से ही चले गए थे. तब ये कहानी सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई थी. तबादला तो जैसे प्रभाकर चौधरी के लिए गहना बन गया है. नौकरी की शुरूआत से ही वे बैग पैक ही रखते हैं. पता नहीं कब ट्रांसफर का आदेश आ जाए. बरेली से हटाए जाने पर यूपी के एक सीनियर IPS अफसर कहते हैं कि पिछले पंद्रह दिनों से वहां कुछ न कुछ हो रहा है. हफ्ते भर पहले भी कांवड़ यात्रा पर पथराव हो गया था. हालात बड़े मुश्किल से संभले थे.