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UP News: योगी सरकार ने नवरात्र को बनाया आस्था और विकास का संगम

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UP News: योगी सरकार ने नवरात्र को बनाया आस्था और विकास का संगम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की धरती पर शारदीय नवरात्रि केवल धार्मिक उत्सव भर नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और महिला शक्ति की विराट छवि है। इस बार के नवरात्र में जब प्रदेशभर के देवी मंदिरों की ओर नज़र डालें, तो साफ़ दिखता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले आठ वर्षों में न केवल प्राचीन विरासत को संजोया है, बल्कि उसे आधुनिक सुविधाओं से जोड़कर श्रद्धालुओं के लिए एक नया अनुभव तैयार किया है। यही वजह है कि प्रदेश में पूरब में विंध्यवासिनी मंदिर से लेकर पश्चिम में मां शाकम्भरी देवी के धाम तक सैकड़ों प्राचीन दुर्गा मंदिरों में केवल नवरात्रि के चार दिन में ही 40 लाख से ज्यादा भक्तों के दर्शन का अनुमान है। जिसमें अकेले विंध्यवासिनी धाम में अबतक 12 लाख श्रद्धालु मां की चौखट पर मत्था टेक चुके हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है यूपी के देवी मंदिरों में सप्तमी, अष्टमी और नवमी में यह संख्या 1 करोड़ के पार जा सकती है। 

प्रतिदिन 3-4 लाख श्रद्धालु लगा रहे विंध्यवासिनी के दरबार में हाजिरी
प्रदेश के सबसे बड़े दुर्गा मंदिर की बात करें तो मीरजापुर जनपद में मां विंध्यवासिनी का धाम देशभर के देवी उपासकों के लिए अनंत श्रद्धा का केंद्र है। योगी सरकार ने यहां विशाल कॉरिडोर का निर्माण कराया है, यहां मां विंध्यवासिनी के मंदिर में रोज़ाना 3.5 से 4 लाख श्रद्धालु माता के दर्शन कर रहे हैं। आम दिनों की तुलना में यह संख्या कई गुना बढ़ गई है। यहां विंध्याचल कॉरिडोर के निर्माण ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं को नया आयाम दिया है। वहीं नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में यहां प्रतिदिन 6-7 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। 

शक्तिपीठ विशालाक्षी के लिए हजारों किमी दूर से आ रहे भक्त
वाराणसी के 51 शक्तिपीठों में से एक मां विशालाक्षी देवी मंदिर में सामान्य दिनों में 5 से 7 हजार श्रद्धालु आते हैं, जबकि नवरात्रि में यह संख्या बढ़कर 8 से 10 हजार हो जाती है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर यहां 20 से 30 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन आने की उम्मीद है। यहां दक्षिण भारत से आने वाले भक्तों की संख्या सबसे अधिक रहती है। योगी सरकार यहां विशालाक्षी कॉरिडोर का प्रस्ताव लेकर आई है, जिससे श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन का लाभ मिलेगा। वहीं वाराणसी स्थित गायत्री शक्ति पीठ चौरा देवी मंदिर में प्रतिदिन 7 हजार से अधिक श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। नवमी पर यह संख्या 40 से 50 हजार के पार चली जाती है। इसके अलावा दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा के मंदिर में नवरात्रि के दिनों प्रतिदिन करीब 1 लाख श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचते हैं। अंतिम तीन दिनों में यहां पर भी प्रतिदिन 2 लाख श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। 

सहारनपुर में स्थित मां शाकम्भरी देवी शक्तिपीठ में नवरात्र में प्रतिदिन 50 हजार और मां त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर में प्रतिदिन 40 हजार श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। नवरात्रि के अंतिम तीन दिन यहां प्रतिदिन 1-1 लाख देवी भक्त हाजिरी लगाते हैं।  इसी प्रकार बलरामपुर स्थित मां पाटेश्वरी देवी के मंदिर में भी प्रतिदिन 50 हजार श्रद्धालु अपनी अपनी आस्था लिये माता के दर्शन को पहुंच रहे हैं। यहां पर भी सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, जो एक से डेढ़ लाख प्रतिदिन तक पहुंच जाती है। 

प्रयागराज में उमड़ रहे लाखों देवी भक्त
प्रयागराज इसका सबसे सशक्त उदाहरण है। यहां गंगा तट पर स्थित मां अलोप शंकरी शक्तिपीठ में नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन सवा लाख से अधिक श्रद्धालु माता के दर्शन कर रहे हैं। यह संख्या सप्तमी, अष्टमी और नवमी में दो से ढाई लाख प्रतिदिन हो जाती है। वहीं मां कल्याणी देवी मंदिर में रोज़ाना 75 से 80 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यहां भी अंतिम के तीन दिन श्रद्धालुओं की संख्या लाख के ऊपर होती है। इसी इलाके में स्थित मां ललिता देवी मंदिर में भी प्रतिदिन 70 से 80 हजार भक्त माता के दरबार में पहुंच रहे हैं। योगी सरकार ने इन मंदिरों में 6 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से यात्री शेड, पेयजल, प्रवेश द्वार, सौंदर्यीकरण और फसाद लाइट की व्यवस्था कराई है। इसका परिणाम है कि मंदिरों की भव्यता और सुविधाओं ने श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ा दी है।

गोरखपुर में तरकुलहा देवी के मंदिर का हुआ कायाकल्प
गोरखपुर का तरकुलहा देवी मंदिर, जो चौरीचौरा क्षेत्र में स्थित है, इस बार नवरात्रि में प्रदेश के प्रमुख आस्था केंद्रों में शामिल हो गया है। यहां औसतन प्रतिदिन 50 हजार श्रद्धालु माता के दर्शन कर रहे हैं, जबकि नवमी पर यहां 1 लाख से अधिक श्रद्धालु अपनी अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं। सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 2.13 करोड़ रुपये का पर्यटन विकास कार्य कराया है। मंदिर परिसर में यात्री शेड, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा इंतज़ामों ने यहां की भव्यता और बढ़ा दी है। गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में स्थित बुढ़िया माई मंदिर में भी श्रद्धालुओं की अपार आस्था उमड़ रही है। प्रतिदिन लगभग 30 हजार लोग जंगल में बसे इस मंदिर तक पहुंच रहे हैं। नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में यहां प्रतिदिन 1 लाख श्रद्धालु हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। पहले यहां सुविधाओं का अभाव था, लेकिन अब 1.60 करोड़ रुपये की लागत से कराए गए पर्यटन विकास कार्य ने इसे भक्तों के लिए अधिक सुलभ और सुरक्षित बना दिया है।

गाजीपुर में कामाख्या मां और हथियाराम मठ में उमड़ी रही भीड़
गाजीपुर के हथियाराम मठ में पहले दिन 3500 श्रद्धालु आए थे, जबकि अंतिम दिनों में यह संख्या 5000 से अधिक पहुंचने का अनुमान है। कामाख्या देवी मंदिर में पहले दिन 6000 श्रद्धालु आए और अंतिम दिनों में यह संख्या 10 हजार से अधिक तक पहुँचने की संभावना है।

सौंदर्यीकरण के बाद माता सीता समाहित स्थल भी बना दर्शनीय
भदोही के सीता समाहित स्थल, सीतामढ़ी में पहले दिन 5 हजार, दूसरे दिन 6 हजार और तीसरे दिन 7 हजार श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए। यहां रामायणकालीन इस स्थल का 2.51 करोड़ की लागत से सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, जिसमें रेड सैंड स्टोन का काम शेष है। पास ही लवकुश वाल्मीकि आश्रम का 80 लाख रुपये से जीर्णोद्धार भी हो रहा है।

जौनपुर में चौकिया माई के दरबार में प्रतिदिन 70 हजार भक्त लगा रहे हाजिरी
जौनपुर के मां शीतला चौकिया धाम में आम दिनों में 5 से 6 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्र में यह संख्या बढ़कर 70 हजार से अधिक हो जाती है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर यहां प्रतिदिन 1 लाख श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं।

आगरा में चामुंडा देवी मंदिर बना आस्था का केंद्र
आगरा के राजा मंडी रेलवे स्टेशन स्थित 300 साल पुराना मां चामुंडा देवी मंदिर नवरात्र में रोज़ाना 5-6 हजार श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि अंग्रेज़ों को रेलवे लाइन मंदिर से बचाकर घुमानी पड़ी थी। यहां नौ देवियों सहित कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। योगी सरकार ने मंदिर मार्ग और सौंदर्यीकरण कर श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाई है। पूरे नवरात्रि की बात करें तो जनपद में मौजूद कैला माता मंदिर में 15 लाख, सती माता मंदिर में दो लाख, चामुंडा देवी मंदिर में 2 लाख, काली माता मंदिर में 1.5 लाख, दुर्गा माता मंदिर में 80 हजार, शीतला माता मंदिर में 10 लाख, पथवारी माता और सिद्धात्री माता मंदिर में 1-1 लाख देवी भक्त अपनी हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। 

नरी सेमरी से जुड़ी है ब्रजमंडल की आस्था, मां के भक्तों का लगा है यहां रेला 
मथुरा के छाता स्थित नरी सेमरी माता मंदिर ब्रजमंडल का प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थ है, जहां नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। यहां देवी मां की पूजा लाठी-डंडों से होती है और नवमी के दिन मूर्ति के खड़े होने की अद्भुत परंपरा है। मंदिर में सफेद, काले और सांवले रंग की तीन प्रतिमाएं हैं और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि राधा को प्रसन्न करने के लिए श्रीकृष्ण ने सांवली सखी रूप धारण किया था, जिससे इस स्थान का नाम नरी सेमरी पड़ा। पूरे नवरात्रि में यहां करीब 3 लाख श्रद्धालु प्रतिवर्ष पहुंचते रहे हैं। 

झांसी के देवी मंदिरों में उमड़ रहे आस्थावान, आल्हा-उदल से जुड़ी है इनकी कथा 
झांसी के पंचकुइया मंदिर, कैमासन मंदिर, महाकाली मंदिर और सीपरी बाजार स्थित लहर देवी मंदिर नवरात्र में आस्था के बड़े केंद्र बने हुए हैं, जहां रोज़ाना हजारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। पंचकुइया और महाकाली मंदिर का निर्माण ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने, जबकि कैमासन मंदिर का निर्माण राजा परमार चंदेल ने कराया था। लहर देवी मंदिर से आल्हा-उदल की गाथा जुड़ी है। सभी मंदिरों पर सुरक्षा और सफाई के विशेष प्रबंध किए गए हैं। झांसी के मंदिरों में भी सप्तमी से लेकर नवमी तक अत्यंत भीड़ रहती है। आंकड़ा लाखों श्रद्धालुओं के पार पहुंच जाता है, जिसे देखते हुए प्रशासन की ओर से तगड़े इंतजाम किये जाते हैं। 

प्रदेश के इन विख्यात देवी मंदिरों में भी उमड़ रही भक्तों की आस्था
महराजगंज के लेहड़ा देवी मंदिर में पहले दिन 80 हजार श्रद्धालु पहुंचे। दूसरे और तीसरे दिन यह संख्या 5-5 हजार रही, जबकि अष्टमी और नवमी को प्रतिदिन 1 लाख तक श्रद्धालु पहुंचने की संभावना जताई गई है। बनेलिया देवी मंदिर में अष्टमी-नवमी पर 10 हजार और सोनई देवी मंदिर में करीब 1500 श्रद्धालुओं का पहुंचना अपेक्षित है।

औरैया के 15 छोटे-बड़े मंदिरों में प्रतिदिन लगभग 10 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। हापुड़ जिले के चंडी देवी मंदिर में प्रतिदिन 5 हजार और वैष्णो देवी मंदिर (सपनावत) में प्रतिदिन 2 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कुल मिलाकर जिले के दस मंदिरों में रोज़ाना 25 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। सिद्धार्थनगर के सिंहेश्वरी, मां पल्टा देवी, वटवासिनी और योगमाया मंदिरों में भी प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

इस पूरे परिदृश्य को देखें तो साफ़ है कि योगी सरकार ने नवरात्र के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं की आस्था को सम्मान देते हुए इन मंदिरों के कायाकल्प और सौंदर्यीकरण का जो प्रयास किया है, उसने आस्था को सुविधा और सुरक्षा के साथ जोड़कर एक नया इतिहास रच दिया है।

विंध्याचल धाम : जहां करोड़ों की आस्था को मिला कॉरिडोर का आधुनिक सहारा
मीरजापुर का मां विंध्यवासिनी मंदिर इस बार नवरात्र में पूरे उत्तर भारत का सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र बना हुआ है। पहले दिन यहां 4.11 लाख, दूसरे दिन 3.15 लाख और तीसरे दिन 3.43 लाख श्रद्धालु पहुंचे। आम दिनों में जहां 1 से 1.5 लाख लोग दर्शन करते थे, वहीं इस बार यह संख्या तीन गुना से भी अधिक हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विंध्याचल कॉरिडोर के निर्माण का कार्य कर रही है, जोकि अब अंतिम चरण में है। यहां परकोटा, परिक्रमा पथ, मंदिर मार्ग का चौड़ीकरण, यात्री शेड और सुरक्षा व्यवस्था ने यहां भीड़ प्रबंधन को सरल बना दिया है। अब भक्तगण बिना धक्का-मुक्की के माता के दर्शन कर पा रहे हैं। आस्था और विकास के इस संगम ने विंध्याचल को न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक तीर्थ पर्यटन की सूची में खड़ा कर दिया है।

सहारनपुर : शाकम्भरी देवी और त्रिपुर बाला सुंदरी के मंदिरों में आस्था का महासागर
सहारनपुर में शाकम्भरी देवी शक्तिपीठ और त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर नवरात्र के दिनों में भक्तों के लिए जीवंत प्रतीक बन गए हैं। शाकम्भरी देवी मंदिर में प्रतिदिन लगभग 50 हजार श्रद्धालु माता के दर्शन कर रहे हैं, जबकि त्रिपुर बाला सुंदरी में 40 हजार से अधिक भक्त रोज़ाना माता के चरणों में नमन कर रहे हैं। यहां सरकार ने भक्तों के लिए भव्य प्रवेश द्वार, प्रकाश व्यवस्था, पेयजल सुविधा और महिला सुरक्षा के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। महिला पुलिस की मौजूदगी और ‘मिशन शक्ति’ के अंतर्गत सुरक्षा उपायों ने यहां श्रद्धालुओं को सुरक्षित माहौल प्रदान किया है।

बलरामपुर : पाटेश्वरी देवी मंदिर बना नारी सशक्तिकरण और आस्था का संगम
देवीपाटन शक्तिपीठ का मां पाटेश्वरी मंदिर इस नवरात्रि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां भक्तों की भीड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। योगी सरकार ने देवीपाटन मंदिर के कायाकल्प में व्यापक कार्य किए हैं। यहां पहुंच मार्ग का चौड़ीकरण, मंदिर परिसर में प्रकाश व्यवस्था, फसाड लाइटिंग, लेजर शो सहित सुरक्षा के इंतज़ाम और श्रद्धालुओं के लिए विश्राम स्थल का निर्माण हुआ है। देवीपाटन अब केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि प्रदेश के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है।