एयरो-इंडिया समिट की शुरुआत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों की गयी. इस समिट को निवेशकों द्वारा काफी सराहा और पसंद किया गया.
रिपोर्ट्स की अगर माने तो इस समिट के दौरान कुल 266 समझौतों पर हस्ताक्षर की गयी है और अगर इनकी कुल वैल्यू की बात करें तो यह करीबन 80 हजार करोड़ रुपये है. बता दें इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत भारतीय रक्षा उद्योग की शीर्ष हस्तियां और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद रहे.
एयरो-इंडिया में 266 भागीदारी की घोषणाओं पर हस्ताक्षर हुए. इनमें 201 समझौता ज्ञापन (MOU), 53 बड़ी घोषणाएं और 9 उत्पादों की पेशकश शामिल है. माना जा रहा है कि एयरो इंडिया में करीब 80,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल हो सकता है. एक MOU हेलीकॉप्टर इंजनों के डिजायन, विकास, विनिर्माण और आजीवन सहयोग के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और फ्रांस की सेफ्रन हेलीकॉप्टर इंजन्स के बीच हुआ है. समझौते और एमओयू ऑपचारिक रूप से 'बंधन' समारोह नामक कार्यक्रम में हुए. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री समेत भारतीय रक्षा उद्योग की शीर्ष हस्तियां और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हुए थे.
रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा, "बंधन समारोह में 80,000 करोड़ रुपये की 266 साझेदारियां हुईं, जिनमें 201 MOU, 52 प्रमुख घोषणाएं, 9 उत्पादों की पेशकश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ट्रांसफर्स ऑफ टेक्नोलॉजी) शामिल हैं. एक एमओयू उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) के बीच भी हुआ है. एयरो इंडिया के दौरान जिन उत्पादों को पेश किया गया, उनमें कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (भारत डायनमिक्स लिमिटेड) भी है. इसके अलावा भारत डायनमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित सेमी-एक्टिव लेजर आधारित टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल को भी यहां पेश किया गया. यह मिसाइल 23 किलोग्राम वजनी है और इसका उपयोग टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों जैसे चलते और स्थिर लक्ष्यों पर विभिन्न इलाकों में किया जा सकता है.
बेंगलुरु के बाहर येलहंका वायु सेना स्टेशन परिसर में एयरो-इंडिया के 14वें संस्करण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इसमें लगभग 100 देशों की लगभग 700 रक्षा कंपनियां और प्रतिनिधि शामिल हुए थे. रक्षा मंत्री ने कहा कि एयरो इंडिया ने दुनिया के 'नए भारत' का 'नया रक्षा क्षेत्र' दिखाया, जो न सिर्फ पिछले कुछ साल में विकसित हुआ है, बल्कि अग्रणी देशों के रक्षा क्षेत्रों के साथ चलने के लिए पूरी तरह तैयार भी है I