भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) , कांग्रेस और आप के सदस्यों ने मंगलवार को नियम 267 के तहत हिंडनबर्ग-अदानी विवाद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करते हुए राज्यसभा में सस्पेंशन का बिजनेस नोटिस दिया।
सदन में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी, आप सांसद संजय सिंह और बीआरएस सांसद के. केशव राव ने इस मुद्दे पर निलंबन नोटिस पेश किया। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि संसद चले।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को कहा था, संसद को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि सरकार नहीं चाहती थी कि यह काम करे। इन्होंने पीएम से जुड़े अदानी महा मेगा घोटाले में जेपीसी की संयुक्त विपक्ष की मांग से ध्यान हटाने के लिए पूरी तरह से फर्जी मोड़ बनाया। इससे पहले दिन में, विपक्षी सदस्यों ने विजय चौक की ओर मार्च किया और कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन कानून का शासन नहीं है।
वहीं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने मंगलवार को कांग्रेस से दूरी बनाते हुए अडानी मुद्दे पर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया। बता दें कि संसद सत्र के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार और मंगलवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई। इस बैठक में भी टीएमसी सांसद और प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए। हालांकि टीएमसी को छोड़कर इस बैठक में 17 दलों के नेताओं ने भाग लिया। इसमें कांग्रेस, डीएमके, सीपीएम, जेडीयू, आरजेडी, एनसीपी, एसपी, जेडीयू, एसएस (उद्धव), एएपी, सीपीआई, जेएमएम, आईयूएमएल, एमडीएमके, एनसी, वीसीके, केसी के सांसदों ने हिस्सा लिया, लेकिन इसमें भी टीएमसी के सांसद उपस्थित नहीं थे।
इसके बाद अडानी मामले में कांग्रेस के आरोप को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां विजय चौक पहुंची, लेकिन इस दौरान भी टीएमसी सांसद वहां मौजूद नहीं थे। दूसरी ओर, टीएमसी सांसदों ने मंगलवार को संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने अडानी के मुद्दे पर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। टीएमसी के सांसद मंगलवार एलआईसी के अदानी में निवेश करने के मुद्दे को उठा रहे हैं। वहीं कांग्रेस आम आदमी पार्टी, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने भी इसे सदन में उठाया।