19 साल की शादी में शुरू से ही साथ नहीं रहने वाले दंपती का औपचारिक रूप से अलग होना है उचित

ब्यूरो : सुप्रीम कोर्ट ने शादी के बाद से ही (19 वर्षों) एक-दूसरे से दूर रह रहे दंपती को तलाक लेने की इजाजत देते हुए कहा कि अगर पति-पत्नी शादी के मूल उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाए हैं तो उनका औपचारिक रूप से अलग होना उचित है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए महिला की तलाक की याचिका को स्वीकार कर लिया।
मौजूदा मामले में महिला ने क्रूरता और प्रताड़ना के आधार पर तलाक मांगा था, लेकिन उसके पति ने इसका विरोध किया। महिला ने आपसी सहमति से तलाक लेने का भी प्रस्ताव दिया और कहा कि वह दहेज उत्पीड़न का मामला सहित सभी आरोपों को वापस ले लेगी। साथ ही यह भी कहा था कि वह किसी तरह के रखरखाव का दावा नहीं करेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि शादी शुरू से ही नहीं चली। शादी 09 जून 2002 को हुई थी और 29 जून 2002 को आईपीसी की धारा-498-ए(दहेज उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप लगाया गया था कि दहेज की मांग को संतुष्ट करने में असमर्थ रहने पर महिला को घर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
नौ सितंबर, 2003 को महिला ने तलाक की दायर की थी। मामले के तथ्यों पर गौर करने पर पीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, हमारा विचार है कि यदि यह विवाह का अपूरणीय विघटन नहीं है तो इस तरह की स्थिति क्या होगी? पीठ ने 13 सितंबर, 2021 को एक मामले में दिए अपने अहम फैसले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि दंपती की शादी लगभग 20 वर्षों तक शुरू नहीं हुई थी।
पीठ ने कहा कि मौजूदा मामला भी उस मामले की ही तरह है। पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हमारा मानना है कि इस मामले में वैवाहिक एकता का विघटन था। कोई प्रारंभिक एकीकरण नहीं था। वे लगभग 19 वर्षों से अलग रह रहे हैं। ऐसे में दोनों पक्षों(पति-पत्नी) का औपचारिक रूप से अलग हो जाना ही उचित है।