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पैरालंपिक में 19 साल की अवनि गोल्ड मैडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बानी

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 पैरालंपिक में 19 साल की अवनि  गोल्ड मैडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बानी
राजस्थान सरकार ने  अवनि को 3 करोड़ इनाम  देने का ऐलान किया 

टोक्यो पैरालंपिक्स में शूटिंग में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रचने वाली अवनि लेखारा  को दुनियाभर से बधाईयां मिल रही हैं। 19 साल की अवनि पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। राजस्थान सरकार ने अवनि की इस उपलब्धि पर 3 करोड़ इनाम का ऐलान किया है। अवनि लेखारा मूलत जयपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने लॉ की पढ़ाई की है।

साल 2012 में एक कार दुर्घटना के बाद से ही वे स्पाइनल कॉर्ड (रीढ़ की हड्डी) से जुड़ी समस्या का सामना कर रही हैं। अवनि ने तमाम चुनौतियों के बाद गोल्ड पर किस तरह कब्जा जमाया? वे किस तरह मेंटल और फिजिकल ट्रेनिंग करती हैं? टॉप 7 के बाद अवनि ने गोल्ड पर किस तरह निशाना लगाया ,इन तमाम बातों का उनके ट्रेनर डॉ. सुबीर देबनाथ ने खुलासा किया है। दिल्ली में 21 जून से लेकर 21 अगस्त तक अवनि के साथ रहे सुबीर जयपुर के एमएनआईटी में स्पोर्ट्स विभाग में कार्यरत हैं। 

सुबीर ने बताया, 2014 से ही अवनि को ट्रेनिंग दे रहा हूं। अवनि ने शूटिंग से पहले आर्चरी को कुछ दिन आजमाया, इसके बाद जगतपुरा शूटिंग रेंज में शूटिंग शुरू की। जहां तक ट्रेनिंग की बात है तो शूटिंग में 'ध्यान' काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ऐसे में खिलाड़ियों को मेंटल और फिजिकल ट्रेनिंग दी जाती है। हमने अवनि के अपार्टमेंट के जिम में ही ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। अलग-अलग महीने के हिसाब से शेड्यूल बनाया गया। फिर ओलंपिक कलेंडर बनाया, जिसे महीने भर में चेंज कर दिया जाता। फिर इसे एग्जीक्यूट किया गया।

आधा घंटा सुबह-शाम मेंटल ट्रेनिंग दी जाती रही। उन्हें साइकोलॉजिकल स्किल ट्रेनिंग- जिसमें अवनि आंखें बंद कर मेडिटेशन कर शॉट लगाती थीं। ये पूरी तरह से इमेजिनेशन पर आधारित होता था। दिल्ली में नेशनल कैंप में मेंटल टफनेस पर काफी काम किया गया और इसी का नतीजा है कि क्वालिफिकेशन में 7वीं रैंकिंग वाली अवनि ने गोल्ड पर अचूक निशाना लगा दिया। वर्ल्ड कप में उन्हें इसी तरह की ट्रेनिंग दी गई थी। फिजिकल ट्रेनिंग की बात की जाए तो उन्हें कार्डियो, स्टेम्प्स, फ्लैक्सिबिलिटी, योगा, मेडिटेशन, स्ट्रेचिंग, कोर्स स्टेबिलिटी कराया जाता। ये शेड्यूल कुछ-कुछ दिन में बदलता रहता। रोजाना लगभग डेढ़ घंटा सुबह और एक घंटा शाम फिजिकल ट्रेनिंग कराई जाती

 सातवीं रैंक की क्वालिफिकेशन के बाद एक घंटा बाद जब फाइनल मैच हुआ, तो बताया कि उन्हें मेडिटेशन पोस्चर में बैठना है। किसी के साथ कोई बातचीत नहीं करनी है और आधा घंटा रेस्ट लेना है। अवनि ने शानदार कमबैक किया और गोल्ड पर कब्जा जमा लिया।अवनि के ट्रेनर कहते हैं, भले ही उसने गोल्ड पर निशाना लगा दिया हो, लेकिन प्रदेश में खेल सुविधाओं में बढ़ोतरी होनी चाहिए। शूटिंग रेंज को नाम की शूटिंग रेंज न बनाया जाए। इसमें मेडिटेशन हॉल, जिम, इलेक्ट्रॉनिक स्कोर बोर्ड होना जरूरी है।