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साउथ अफ्रीका से हार के बाद मिला ज्ञान श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में आएगा काम? जानिए भारत को किन कमजोरियों को है दूर करने की जरूरत?

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साउथ अफ्रीका से हार के बाद मिला ज्ञान श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में आएगा काम? जानिए भारत को किन कमजोरियों को है दूर करने की जरूरत?

कहते हैं झटका लगने से अच्छे अच्छे सीख जाते हैं. साउथ अफ्रीका दौरे पर टीम इंडिया को वो झटका लग चुका है.

नए साल की पहली ही टेस्ट सीरीज गंवा दी है. जहां नया इतिहास रचने के इरादे से पहुंचे थे इंडिया वाले वहां फिर से पुराने इतिहास के पन्नों में वो खो गए. अब सवाल ये है कि क्या इससे कुछ सबक हासिल किया . क्या इसके बाद खामियां दुरुस्त होंगी. और अगर होंगी तो वो खामियां कौन-कौन सी होंगी. क्योंकि, साउथ अफ्रीका में हार की वजह कोई एक हों तो बताएं. सवाल ये भी है कि अगले महीने से शुरू हो रहे श्रीलंका (Sri lanka) के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज से पहले भारतीय टीम की सूरत में कितना बदलाव देखने को मिलेगा.

केपटाउन में सीरीज गंवाने के बाद भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने एक बात पर जोर दिया. और, वो जोर था टीम की फेल हुई बल्लेबाजी पर. मतलब साफ है कप्तान को भी यही लगता है कि खोट बल्लेबाजी में है. और ऐसा है भी. पूरी सीरीज में इसके प्रमाण भी मिले.

6 पारियों में सिर्फ 1 बार 300 रन बना सके भारतीय बल्लेबाज

साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले 3 टेस्ट की 6 पारियों में भारतीय टीम सिर्फ एक बार 300 रन का आंकड़ा पार करने में कामयाब रही. और, जिसमें ऐसा किया उसमें जीत भी दर्ज की. ये 300 प्लस रन उसने सेंचुरियन टेस्ट की पहली पारी में बनाए थे. लेकिन उसके बाद अगली 5 पारियों टीम का जो हाईएस्ट टोटल था वो 266 रन का रहा. इन 5 पारियों में दो बार तो भारतीय बल्लेबाज 200 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सके.

अब जिस बैटिंग लाइन अप में राहुल, पुजारा, रहाणे, विराट और पंत जैसे धुरंधर उस टीम की बल्लेबाजी अगर ऐसी होगी तो साफ है कि समस्या गंभीर है. और, ऐसी समस्या का बस एक ही इलाज है बदलाव. विराट कोहली बेशक अभी ये कहते दिखें कि उन्हें पुजारा-रहाणे पर भरोसा है. लेकिन, श्रीलंका के खिलाफ घरेलू सीरीज में वो यकीनन इनके विकल्प पर गौर करेंगे.

फेल हुए इस बैटिंग ऑर्डर से लेना होगा सबक

साउथ में मिले सबक से ऐसा करने की क्यों जरूरत है, उसे जरा इस उदाहरण या यूं कहें कि तुलनात्मक अध्य्यन से समझिए. मिडिल ऑर्डर किसी भी टीम की बल्लेबाजी की रीढ़ मानी जाती है. इसमें तीसरे और 5वें नंबर के बल्लेबाज का बड़ा रोल होता है. लेकिन, जब आप इस ऑर्डर पर खेलने वाले साउथ अफ्रीका के बावुमा और पीटरसन के बैटिंग औसत से भारत के रहाणे और पुजारा के बैटिंग औसत की तुलना करेंगे तो सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. साउथ अफ्रीका के लिए टेम्बा बावुमा ने 73.66 की औसत से और पीटरसन मे 46 की औसत से सीरीज में रन बनाए. तो वहीं रहाणे का बैटिंग औसत 22.66 और पुजारा का 20.66 रहा.

गेंदबाजी में निरंतरता की कमी पर ध्यान देने की जरूरत

क्रिकेट में बल्लेबाज जितने महत्वपूर्ण हैं, उतने ही टीम के लिए गेंदबाज भी. भारत की मौजूदा पेस अटैक को अभी सबसे बेहतर बताया जाता है. लेकिन साउथ अफ्रीकी पिचों पर भारत के बॉलिंग अटैक में निरंतरता की भारी कमी दिखी, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा. इसे आप साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों से उनकी तुलना कर समझ सकते हैं. साउथ अफ्रीका के लिए उसके प्रमुख तेज गेंदबाज कैगिसो रबाडा, लुंगी नगिडी और मार्को यानसन थे. वहीं भारत के लिए वो रोल जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और शार्दुल ठाकुर निभा रहे थे. लेकिन, कागजों पर मजबूत दिखने वाली भारत की गेंदबाजी का मैदान पर उतरते ही असर कम दिखने लगा.

रबाडा, यानसन और नगिडी ने जहां 3 टेस्ट की सीरीज में क्रमश: 20, 19 और 15 विकेट चटकाए. वहीं उनके मुकाबले शमी, बुमराह और शार्दुल बस 14, 12 और 12 विकेट ले सके. यानी, कोई भी भारतीय गेंदबाज सीरीज के हाईएस्ट विकेटटेकर की टॉप 3 लिस्ट में नहीं रहा. ये भी नहीं भूलना चाहिए कि साउथ अफ्रीका ने भारत को एक और मुख्य तेज गेंदबाज एनरिख नॉर्खिया के बगैर हराया है.

ऐसी चूक फिर न करना

साउथ अफ्रीका के पूर्व ऑलराउंडर कलिनन के मुताबिक टीम इंडिया को इशांत शर्मा को खिलाना चाहिए था. लेकिन टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज होकर भी इशांत दौरे पर टूरिस्ट ही बने सके. ये सब चूक भारत ने की है, जिनसे उसे सीखना होगा. सबक लेना होगा. ये तो बस हमारे बतलाए कुछ पॉइंट्स हैं. जो खामियों को उजागर करते हैं. लेकिन इसके अलावा और सबसे जरूरी है आत्म मंथन. जो टीम इंडिया को करना चाहिए. और अगर बदलाव की गुंजाइश टीम में लगती है तो बगैर खिलाड़ी के कद और रुतबे को देखते हुए उसमें 25 फरवरी से शुरू होने वाले श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज से पहले बदलाव करना चाहिए.

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