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PM Modi Adi Kailash Yatra: पीएम मोदी ने आदि कैलाश के विराट दर्शन किए, पहले पहुंचने में लगते थे 3 से 4 दिन, अब लगते हैं चंद मिनट

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PM Modi Adi Kailash Yatra: पीएम मोदी ने आदि कैलाश के विराट दर्शन किए, पहले पहुंचने में लगते थे 3 से 4 दिन, अब लगते हैं चंद मिनट

Dehradun: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज आदि कैलाश के दर्शन करने के लिए उत्तराखंड के सीमांत जिला पिथौरागढ़ पहुंचे. सबसे पहले पीएम मोदी सुबह हेलीकॉप्टर से ज्योलिंगकांग हेलीपैड पर उतरे. इसके बाद वह कार से हिमालय की चोटी पर स्थित पार्वती सरोवर और शिव मंदिर पहुंचे. इसके बाद उन्होंने आदि कैलाश मंदिर में पूजा अर्चना की. लेकिन क्या आपको पता है कि जिस आदि कैलाश यात्रा पर पीएम मोदी आज पहुंचे हैं, वहां पहुंचने के लिए कभी आम भक्तों को 2 से तीन दिन का पैदल रास्ता तय करना पड़ता था.

पीएम मोदी ने आज आदि कैलाश पर्वत के दर्शन किए. उन्होंने हेलीपैड से आदि कैलाश मंदिर तक कार से सफर किया. इस सड़क मार्ग के जरिए अब आम भक्त भी आसानी से आदि कैलाश मंदिर तक पहुंचत सकते हैं. हालांकि, ये पहले मुमकिन नहीं था. लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा के बाद भगवान शिव के भक्तों की ये राह आसान हो गई है. आने वाले समय में नेपाल और सिक्किम से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले भक्त उत्तराखंड के रास्ते काफी कम समय से यात्रा के लिए पहुंच सकेंगे. पिछले 4 साल में इस मार्ग का 80 प्रततिशत काम पूरा हो चुका है. आने वाले कुछ समय में एक शानदार सड़क का निर्माण कैलाश मानसरोवर तक जाने के लिए कर लिया जाएगा.

इस सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शिव भक्तों के लिए काफी आसान हो जाएगी. इस सड़क का लगभग 80 किमी का हिस्सा 6 हजार फीट की ऊंचाई तक बनाया गया है. सड़क निर्माण से पहले 17 हजार 60 फीट की ऊंचाई तक पैदल चलना पड़ता था. यानी कि सड़क निर्माण के बाद करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई कम हो गई है. इस सड़क निर्माण के पूरा होने के बाद कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश जाने वाले भक्तों को अब खतरनाक रास्तों से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा. कैलाश मानसरोवर की यात्रा बेहद सरल और सुगम हो जाएगी.

सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) कर रहा है. कैलाश मानसरोवर जाने वाले भक्त अब बहुत जल्द धारचूला, लिपुलेख, तवानघाट, घटियाबागड़ से होते हुए कैलाश मानसरोवर पहुंच जाएंगे. हालांकि अभी भी घटियाबागड़ से यात्रा की शुरुआत होती है. जबकि समाप्ति लिपुलेख दर्रे पर होती है. खास बात यह है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए अब यात्रियों को चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. उत्तराखंड के रास्ते ही सीधे कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पहुंचा जा सकेगा. सामरिक दृष्टि से भी यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण है. पक्की सड़क बनने से ना केवल आसपास के गांव में कनेक्टिविटी अच्छी होगी, बल्कि सुरक्षा बलों को भी बेहतर आने-जाने का रास्ता मिल सकेगा.

हालांकि साल 2006 में गर्भधार से लिपुलेख तक सड़क का निर्माण शुरू हुआ था. लेकिन यह कार्य किन्हीं वजह से बीच में ही रुक गया. इसके बाद दोबारा से इस सड़क का निर्माण शुरू किया गया है. सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस सड़क निर्माण का और विस्तार करते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रियों को समर्पित किया है. बीआरओ की मानें तो 67 किमी तक आरसीसी सड़क चौड़ीकरण का काम लगभग पूरा हो गया है. पहले 4 दिन में श्रद्धालु चीन सीमा तक पहुंचते थे. अब कुछ ही घंटे में धारचूला से कैलाश मानसरोवर आदि कैलाश पहुंचा जा सकेगा.