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दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में से 70 फीसदी शिक्षकों को दिल्ली सरकार ने कोरोना ड्यूटी में लगा रखा है

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 दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को उपलब्ध कराने और उन्हें दूसरे कामों से मुक्त कर बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई है। हाई कोर्ट इस याचिका पर 06 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। याचिका सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में दसवीं और बारहवीं के क्लास शुरू हो गए हैं। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 30 अगस्त को एक आदेश के जरिये दसवीं और बारहवीं के क्लास शुरू करने का आदेश दिया था। छात्रों के प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क 1 सितंबर से शुरु हो गए हैं। सीबीएसई के दसवीं और बारहवीं के फर्स्ट टर्म की परीक्षा नवंबर में होने के आसार हैं। ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा जरुरत है ताकि बच्चे अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में से 70 फीसदी शिक्षकों को दिल्ली सरकार ने कोरोना ड्यूटी में लगा रखा है, जिसकी वजह से स्कूलों में बच्चों की बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर असर पड़ रहा है। इससे बच्चों की परीक्षा के रिजल्ट पर असर पड़ सकता है। 23 सितंबर को दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सभी डिवीजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों को तुरंत उनके कार्य से मुक्त करने की मांग की थी। शिक्षा निदेशालय के पत्र लिखे जाने के बावजूद उन शिक्षकों को जिलों के डीएम रिलीव नहीं कर रहे हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में दिल्ली सरकार के 1053 स्कूल हैं, जिनमें नर्सरी से लेकर बारहवीं तक के करीब 18 लाख छात्र पढ़ते हैं। शिक्षा निदेशालय के पास 57 हजार शिक्षक हैं। इनमें से 39 हजार 900 शिक्षक स्कूल में इसलिए उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अप्रैल 2020 से डिवीजनल कमिश्नर ने आपदा प्रबंधन के कामों में लगा रखा है। ऐसी ही स्थिति नगर निगमों के स्कूलों में भी है। दिल्ली के नगर निगमों की ओर से संचालित स्कूलों में करीब आठ लाख बच्चे प्राइमरी क्लासों में पढ़ते हैं। इन स्कूलों के शिक्षकों को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सीईओ ने अध्यापन से अलावा दूसरे काम में लगा रखा है। इन शिक्षकों में से 69 शिक्षकों को एयरपोर्ट ड्यूटी पर रखा गया है। याचिका में कहा गया है कि बच्चे स्कूल जाकर सामान्य हो रहे हैं। स्कूल खुलने के बाद बच्चे अपने दोस्तों से मिले और एक-दूसरे को कोरोना से सुरक्षित रखने का रास्ता भी दिखाया। बच्चे जितने ज्यादा दिनों तक स्कूल से बाहर रहेंगे, उन्हें वापस स्कूल में लाकर सीखने में उतनी ही मुश्किल होगी। दिल्ली में स्कूल खोलना एक स्वागत योग्य कदम है। बच्चों के लिए स्कूल बाकी स्थानों से ज्यादा सुरक्षित जगह है। याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया जाए कि वे सभी शिक्षकों को तुरंत कार्य से मुक्त करें ताकि वे स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ा सकें।