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बारह सौ दिनों बाद बिहार में पांव रखने वाले लालू प्रसाद यादव के सामने होंगी ये चुनौती

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बारह सौ दिनों बाद बिहार में पांव रखने वाले लालू प्रसाद यादव के सामने होंगी ये चुनौती

पटना: लालू प्रसाद यादव। सियासत का वो नाम, जिसकी धुरी पर बिहार के सियासी कुरुक्षेत्र के हर महारथी के रथ का पहिया घूमता रहा है, लेकिन समय का पहिया कुछ ऐसा घूमा कि खुद इस महारथी का रथ कानून की पेचीदा, पथरीली गलियों से बाहर निकला नहीं कि घर के दलदल में फंस गया।

दो दशक तक बिहार की राजनीति को अपनी अंगुली पर नचाने वाले दिग्गज लालू प्रसाद यादव 12 सौ दिनों के बाद बिहार में पांव रखेंगे। वैसे तो लालू यादव दो सीटों के चुनावी महासमर से निपटने आ रहे हैं लेकिन उससे पहले उन्हें निपटारा करना होगा अपने दो बेटों के पारिवारिक महाभारत का।

वो बेटे, जो खुद को महाभारत के कृष्ण और अर्जुन की जोड़ी बताते थे, लेकिन आज लालू का घर ही कुरुक्षेत्र बना हुआ है और इस नए सियासी कुरुक्षेत्र में, कृष्ण और अर्जुन ही एक दूसरे के खिलाफ सुदर्शन चक्र और गांडीव ताने खड़े हैं। इधर पार्टी, लालू यादव की वापसी को ग्रैंड एंट्री बनाने की तैयारी कर रही है। इधर कृष्ण-अर्जुन, साम-दाम की टेढ़ी घात चल रहे हैं। अर्जुन, लिस्ट से नाम उड़ा रहा है तो कृष्ण, ट्विटर की चिड़िया उड़ा रहा है।

-इधर तैयारी तो उनके राजनीतिक विरोधियों ने भी किया है। दरअसल चारा घोटाला मामले में जेल में बंद लालू यादव को साढ़े तीन साल बाद हाफ सेंटेंस और स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिली है और वो फिलहाल इस मामले में जमानत पर बाहर हैं। भाजपा-जदयू की कोशिश है कि सीबीआई कोर्ट सजायाफ्ता, जमानती लालू यादव के संभावित चुनावी अभियान का संज्ञान ले।

बहरहाल सबको पता है कि बहुमत के दो धारी तलवार के ठीक मुहाने पर फंसी नीतीश सरकार तब तक चैन की सांस ले रही है, जब तक लालू अस्वस्थ हैं या फिर बिहार से बाहर हैं। ऐसे में उपचुनाव के मात्र दो सीट भी दोनों पक्ष के लिये बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं। लिहाजा अरसे बाद लालू यादव की बिहार वापसी की पटकथा लिखी गई है,लेकिन चुनावी कुरुक्षेत्र में उतरने से पहले उनका सामना होगा,, 'अथ श्री महाभारत कथा' से।