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देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज से O2C बिजनेस अलग करने की योजना को वापस लेने वाले प्लान को मिली NCLT की मंजूरी

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देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज से O2C बिजनेस अलग करने की योजना को वापस लेने वाले प्लान को मिली NCLT की मंजूरी

देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को कहा कि उसे कंपनी से O2C बिजनेस को अलग करने को लेकर दायर अपील को वापस लेने की मंजूरी NCLT से मिल गई है. पिछले महीने 19 तारीख को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अचानक से फैसला किया कि वह अभी रिलायंस इंडस्ट्रीज से ऑयल टू केमिकल बिजनेस को अलग नहीं करेगा.

इसके बाद कंपनी ने यह अपील NCLT से की.

कोरोना के आने से पहले अगस्त 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सऊदी अरामको के साथ एक करार किया था. इसके तहत अरामक O2C बिजनेस में 20 फीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहित करेगी. इस साल एनुअल जनरल मीटिंग ने मुकेश अंबानी ने सऊदी अरामको के प्रमुख को रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में शामिल किया. पिछले महीने रिलायंस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि सऊदी अरामको और रिलायंस ने मिलकर फैसला किया है कि वह फिलहाल ऑयल टू केमिकल बिजनेस को कंपनी से अलग नहीं करेंगे.

75 हजार करोड़ के निवेशक का प्लान

दरअसल इस बार एनुअल जनरल मीटिंग में मुकेश अंबानी ने ग्रीन एनर्जी को लेकर बड़ा ऐलान किया. इसके लिए अलग कंपनी का गठन किया गया है. मुकेश अंबानी की योजना ग्रीन एनर्जी में अगले 3 सालों में 75000 करोड़ रुपए के निवेश की है. रिलायंस इंडस्ट्रीज 2035 तक नेट जीरो कार्बन कंपनी होगी. कंपनी की 2030 तक 100 GW रिन्यूएबल क्षमता सेटअप करने की योजना है.

रिफाइनिंग और पेट्रोकैमिकल एसेट्स के वैल्युएशन में गिरावट

दोनों कंपनियों ने ऐलान किया था कि डील का दोबारा आकलन किया जाएगा. इसके बाद दो सालों से चल रही बातचीत का दौर खत्म हो गया. डील का खत्म हो जाना बदलते ग्लोबल एनर्जी के माहौल को दिखाता है, क्योंकि तेल और गैस कंपनियां अब फॉसिल फ्यूल की जगह रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस कर रही हैं. Glasgow में हाल ही में हुई COP26 बातचीत के बाद खास तौर पर रिफाइनिंग और पेट्रोकैमिकल एसेट्स के वैल्युएशन में गिरावट आई है.

दो सालों से जारी बातचीत का हुआ अंत

रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके बावजूद, रिलायंस 2019 में O2C बिजनेस के लिए किए गए 75 बिलियन डॉलर के वैल्युएशन पर जोर दे रही थी. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कंसल्टेंट्स के द्वारा आकलन में वैल्युएशन में बड़ी कटौती दिखी. रिलायंस ने जामनगर को अपने क्लीन एनर्जी बिजनेस से अलग करने में मुश्किल को ट्रांजैक्शन पूरा नहीं करने की वजह बताया. Bernstein ने हाल ही के नोट में लिखा कि हालांकि, उन्हें बिजनेस और वैल्युएशन से जुड़ी दिक्कतें मुख्य वजहें लगती हैं.

वैल्युएशन में भारी गिरावट

Jefferies ने रिलायंस के एनर्जी बिजनेस के लिए अपनी वैल्युएशन में कटौती करके 80 बिलियन डॉलर से 70 बिलियन डॉलर कर दिया था. जबकि, कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने O2C बिजनेस की एंटरप्राइज वैल्यू में कटौती करके उसे 61 बिलियन डॉलर पर ला दिया था. Bernstein ने उनके बिजनेस को 69 बिलियन डॉलर पर वैल्यु किया है.

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