इटली की पीएम जॉर्जिया ने दिया सख्त बयान, यूरोप में इस्लाम के लिए कोई जगह...
इस्लाम को लेकर इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने सख्त बयान दिया है. एक वायरल वीडियो में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा, यूरोप में इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं है. यूरोप और इस्लाम का कल्चर बिल्कुल भी एक-दूसरे के अनुकूल नहीं है.
हमारी सभ्यता उनसे मेल नहीं खाती. यूरोप में इस्लाम को बढ़ावा देने का काम चल रहा है. वीडियो में उन्होंने सऊदी अरब का नाम लेते हुए कहा कि यह देश इटली के इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्रों की फंडिंग कर रहा है. सऊदी में शरिया कानून लागू है. इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा, शरिया का मतलब है, मजहब को छोड़ने और समलैंगिकता के लिए मौत की सजा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में 2.60 करोड़ से ज्यादा मुसलमान रहते हैं. यूरोप की आबादी में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी मुस्लिमों की है. इनकी सबसे ज्यादा संख्या फ्रांस में है. खास बात है कई सर्वे रिपोर्ट ऐसी हैं जिसमें दावा किया गया है 2050 इनकी आबादी तेजी से बढ़ेगी.
अमेरिकी थिंकटैक में प्यू रिसर्च ने इनकी आबादी को लेकर एक अनुमान जताया है. रिपोर्ट कहती है कि 2030 तक यूरोप की आबादी में से 7.5 फीसदी जनसंख्या मुस्लिमों की होगी.
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट कहती है, 2023 में पूरे यूरोप में मुस्लिमों की सबसे ज्यादा 57.2 लाख आबादी फ्रांस में होगी. इसके बाद जर्मनी (49.5 लाख), ब्रिटेन (41.3 लाख), इटली (28.7 लाख), नीदरलैंड्स (12.1 लाख), स्पेन (11.8 लाख), बेल्जियम (8.7 लाख), स्वीडन (8.1 लाख), बुल्गारिया (7.9 लाख) और ग्रीस (6.2 लाख) होगा.
आबादी के आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा मुस्लिम फ्रांस में हैं. पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा हिंसक दंगों के बाद निशाने पर मुस्लिम रहे हैं. छोटे दंगों को नजरअंदाज भी कर दें तो भी नाहेल एम की मौत का मामला नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
फ्रांस के कई शहरों में ग्रृहयुद्ध जैसे हालात हो गए थे. यह प्रदर्शन गोरों बनाम अरब मूल के फ्रांसीसी लोगों के बीच था. हालात ऐसे बने कि फ्रांस की सरकार को करीब 45 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती करनी पड़ी. एक हफ्ते से अधिक समय तक हिंसा का दौर जारी रहा था. 3 हजार से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया था. जितना यह मामला फ्रांस में चर्चा में था, उतना ही सोशल मीडिया पर भी.
पिछले कुछ समय से यूरोप इस्लामिक आतंकियों के निशाने पर रहा है. खासकर फ्रांस. इससे सबक लेते हुए यूरोप के कई देश अपने यहां मुस्लिमों से किनारा कर रहे हैं. इटली के पीएम का बयान ताजा उदाहरण है. फ्रांस की घटना के बाद कई देशों ने इस समुदाय से दूरी बनानी शुरू कर दी थी. पोलैंड ने मुस्लिम रिफ्यूजियों को शरण देने से साफ इंकार कर दिया.
इस्लामिक आतंकी हमलों का रिकॉर्ड देखें तो कई बातें सामने आती हैं. साल 2021 में फ्रांस के एक शहर में कट्टरपंथी हमलावर ने चर्च पर हमला किया. इसमें 3 लोगों की मौत हुई. संदिग्ध हमलावर अल्लाहू अकबर के नारे म लगाते हुए देखा गया. यह हमलावर शराणार्थी के नाम पर फ्रांस में पहुंचा था.
इससे पहले यहां एक शिक्षक की हत्या हुई क्योंकि उसने पैगंबर मोहम्मद साहब के कार्टून बच्चों को दिखाए थे. 2015 में चार्ली हैब्दो पत्रिका के कार्यालय पर इस्लामिक आतंकियों ने हमला किया था. हमले में 12 लोगों की हत्या हुई. 2015 में ही इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक के आतंकियों ने पेरिस में अटैक किया. इसमें 130 लोग मारे गए थे.