PAK में सुरक्षित नहीं अल्पसंख्यक बेटियाँ: मूक-बधिर नाबालिग का इस्लाम कबूल करवाकर बुज़ुर्ग से निकाह
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से एक अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। मीरपुरखास जिले के गुलज़ार कुरैशी गांव की 15 वर्षीय काजूल मेघवार नाम की हिंदू लड़की अचानक लापता हो गई थी। कई दिनों तक उसका कोई पता नहीं चला, लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि उसे जबरन इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर किया गया और फिर एक मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करा दिया गया। इस घटना ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं और सिखों की सुरक्षा को लेकर फिर से गहरी चिंता पैदा कर दी है।
काजूल के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई कि उनकी बेटी को अज्ञात लोगों ने 29 या 30 दिसंबर 2024 को अगवा कर लिया था। परिवार ने बताया कि काजूल दसवीं कक्षा की छात्रा थी और पढ़ाई में काफी होनहार थी। लेकिन उसके अपहरण के बाद पुलिस ने शुरुआती दिनों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। काजूल के पिता ने पुलिस को उसका जन्म प्रमाणपत्र भी दिखाया, जिसमें उसकी उम्र केवल 15 वर्ष दर्ज थी, लेकिन इसके बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई।
परिवार का आरोप है कि अपहरण के बाद लड़की को पीर सरहंदी दरगाह ले जाया गया, जहाँ उस पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाया गया। बाद में एक स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति से उसका निकाह करवा दिया गया। इस दौरान पेश किए गए कागजातों में लड़की की उम्र वयस्क (18 वर्ष) बताई गई ताकि यह दिखाया जा सके कि शादी और धर्म परिवर्तन उसकी "स्वेच्छा" से हुआ है।
स्थानीय संगठनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस और प्रशासन इस तरह के मामलों में जानबूझकर लापरवाही बरतते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंध प्रांत में हर साल दर्जनों नाबालिग हिंदू और सिख लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है और उनकी शादी मुस्लिम पुरुषों से करवा दी जाती है। अधिकांश मामलों में पुलिस या तो निष्क्रिय रहती है या फिर आरोपियों के प्रभाव में आ जाती है।
पाकिस्तान में पहले से ही बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम (Child Marriage Restraint Act) मौजूद है, लेकिन धार्मिक और सामाजिक दबाव के कारण इसका पालन नहीं किया जाता। सिंध में यह कानून शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष तय करता है, लेकिन धार्मिक निकाह कराकर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।
काजूल मेघवार का मामला अब सिंध हाईकोर्ट के संज्ञान में आने की संभावना है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अदालत से मांग की है कि लड़की को सुरक्षित बरामद कर परिवार को लौटाया जाए। साथ ही, उन सभी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए जिन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह की साजिश रची।
इस बीच, फ्रांस, अमेरिका और भारत सहित कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदू और सिख लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
सिंध और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में ऐसे मामले कोई नई बात नहीं हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, हर साल करीब 1,000 से अधिक नाबालिग हिंदू और सिख लड़कियाँ जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह की शिकार होती हैं। इनमें से अधिकांश मामले ग्रामीण इलाकों से आते हैं, जहाँ गरीबी, सामाजिक असमानता और धार्मिक चरमपंथ इन अपराधों को बढ़ावा देते हैं।

