अमेरिका में इमिग्रेशन रेड को लेकर सड़कों पर भारी विरोध प्रदर्शन, 100 से अधिक लोगों को हिरासत लिया गया

अमेरिका में इमिग्रेशन रेड को लेकर उभरे भारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान एक महिला पत्रकार लॉरेन टोमासी को लाइव टीवी रिपोर्टिंग के दौरान रबर की गोली लग गई। यह घटना तब घटी जब लॉस एंजेलिस की सड़कों पर जारी प्रदर्शनों को कवर करते हुए रिपोर्टर प्रदर्शनकारियों और दंगा नियंत्रण पुलिस के बीच फंसी हुई थीं। पुलिस की ओर से दंगा नियंत्रित करने के लिए रबर बुलेट्स और अन्य गैर-घातक हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी बीच एक रबर बुलेट सीधा लॉरेन टोमासी की जांघ में जा लगी। दर्द से कराहती हुई उन्होंने तुरंत अपनी जांघ पकड़ ली। उनके साथ मौजूद कैमरामैन ने जब उनसे पूछा कि क्या वह ठीक हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, "हां, मैं ठीक हूं, मैं ठीक हूं,"।
विरोध शुक्रवार को शुरू हुआ जब ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) ने फैशन डिस्ट्रिक्ट, होम डिपो और एक क्लोथिंग होलसेलर पर अचानक छापेमारी की। इन रेड्स के दौरान 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, जिससे गुस्साए लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शुरुआत में शांतिपूर्ण रहे ये प्रदर्शन रविवार तक आते-आते उग्र हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी, फ्लैश बैंग ग्रेनेड, पेपर स्प्रे, और फायरवर्क्स का इस्तेमाल किया। कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच सीधी भिड़ंत देखी गई।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2,000 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया। यह आदेश कैलिफोर्निया के गवर्नर की अनुमति के बिना दिया गया, जो कि 1967 के बाद पहली बार हुआ है। गवर्नर गैविन न्यूसम ने इस कदम को "अवैध" और "उकसाने वाला" बताया। उन्होंने कहा कि यह राज्य की संप्रभुता का उल्लंघन है और इससे हिंसा और बढ़ सकती है। वहीं, लॉस एंजेलिस की मेयर करेन बैस ने भी इस फैसले की वैधता पर सवाल उठाए और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
ट्रंप ने इस पूरे विरोध को "माइग्रेंट इनवेज़न" (प्रवासी आक्रमण) बताते हुए कहा कि देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर हिंसा जारी रही, तो वह एक्टिव ड्यूटी मरीन सैनिकों को भी तैनात कर सकते हैं।
डाउनटाउन लॉस एंजेलिस, पैरामाउंट, और कॉम्पटन में प्रदर्शनकारियों ने हाईवे ब्लॉक, वाहनों को आग, और हथियारों से लैस पुलिस के साथ टकराव किया। पुलिस को आंसू गैस, ISP (इमिग्रेशन स्पेशल फोर्स) और अन्य रणनीतियों का इस्तेमाल करना पड़ा। शनिवार को ही 30 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से तीन को पुलिस अधिकारी पर हमला करने के संदेह में हिरासत में लिया गया। कई लोग घायल हुए हैं।
रेन टोमासी के साथ हुई यह घटना सवाल उठाती है कि प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा इन उग्र प्रदर्शनों में कितनी खतरे में है। रिपोर्टिंग के दौरान उन्हें गोली लगना यह दर्शाता है कि पुलिस का बल प्रयोग केवल प्रदर्शनकारियों तक ही सीमित नहीं रहा। यह घटना अमेरिका में पत्रकारों पर हमले की एक और कड़ी है, जो पहले भी ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन और कोविड लॉकडाउन के विरोध के दौरान देखने को मिल चुकी है।
यह विरोध अब सिर्फ इमिग्रेशन मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह संघीय बनाम राज्य सरकार के अधिकार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की बहस का केंद्र बन गया है। ACLU (अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन) और कैलिफोर्निया डेमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति ट्रंप के कदम को तानाशाही बताया। उनका कहना है कि यह न सिर्फ शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने का प्रयास है बल्कि संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है। वहीं ट्रंप समर्थक इस कदम को जन सुरक्षा के लिए जरूरी मानते हैं।