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भारत-अमेरिका डिफेंस डील पर दुनिया की नजरें, चीन-पाक के लिए बढ़ी मुश्किलें

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 भारत-अमेरिका डिफेंस डील पर दुनिया की नजरें, चीन-पाक के लिए बढ़ी मुश्किलें

मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में भारत और अमेरिका ने एक नए 10-वर्षीय रक्षा ढाँचे के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई बैठक के बाद हुआ है। इस समझौते के तहत, दोनों देशों की सेनाएँ तकनीकी और रणनीतिक सहयोग को गहरा करेंगी, जिससे भारत को महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक तक पहुँच मिलेगी और एक नए रक्षा उद्योग के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस बैठक से कुछ दिन पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मुद्दों और वैश्विक चुनौतियों पर व्यापक चर्चा की थी।

पेंटागन ने भी एक बयान जारी कर कहा कि यह समझौता भारत में घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगा, विशेष रूप से "मेक इन इंडिया" पहल को, जिसमें जीई एयरोस्पेस के F-404 इंजन और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की आपूर्ति शामिल है। अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर घोषणा की कि उन्होंने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने एक नए 10-वर्षीय रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को और मज़बूत करेगा। यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देगा। दोनों देशों ने सूचना साझाकरण, समन्वय और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। हेगसेथ ने कहा कि भारत-अमेरिका रक्षा संबंध पहले कभी इतने मज़बूत नहीं रहे।

बैठक में F404 इंजनों की आपूर्ति में देरी का मुद्दा भी उठाया गया, जो तेजस हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के लिए बेहद ज़रूरी हैं। इस देरी के कारण, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को भारतीय वायु सेना को समय पर विमान की आपूर्ति करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत को अमेरिका से हथियार, हेलीकॉप्टर और ड्रोन जैसी उन्नत तकनीकें मिलेंगी।
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी मज़बूत होगी।
अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश और तेज़ आपूर्ति से फ़ायदा होगा।
हेलीकॉप्टर, विमान और अन्य हथियार भारत में ही बनाए जाएँगे, जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।